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Supreme Court on Muslim girl Marriage: कोर्ट ने पूछा- क्या मुस्लिम लड़की तरुणाई के बाद पसंद के व्यक्ति से शादी कर सकती है?

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें एक मुस्लिम लड़की को यौवन प्राप्त करने पर वैध विवाह में प्रवेश करने की अनुमति दी गई थी. पढ़िए पूरी खबर...Supreme Court on Muslim girl Marriage

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Published : Jan 13, 2023, 8:28 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की याचिका पर शुक्रवार को विचार करने पर सहमत हो गया, जिसमें कहा गया था कि एक मुस्लिम लड़की तरुणाई (प्यूबर्टी) के बाद अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी कर सकती है. शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय के उस फैसले को किसी अन्य मामले में मिसाल के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए, जिसमें कहा गया है कि 15 वर्ष की आयु की एक मुस्लिम लड़की पर्सनल लॉ के तहत कानूनी और वैध तरीके से विवाह के बंधन में बंध सकती है.

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने हरियाणा सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया तथा न्यायालय की सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव को न्यायमित्र नियुक्त किया. पीठ ने कहा, 'हम इन रिट याचिकाओं पर विचार करने के पक्ष में हैं. नोटिस जारी करें. आदेश लंबित होने तक (उच्च न्यायालय के) इस फैसले को मिसाल के तौर पर नहीं लिया जाएगा.' सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 14, 15, 16 साल की मुस्लिम लड़कियों की शादी हो रही है.

उन्होंने पूछा, 'क्या पर्सनल लॉ का बचाव हो सकता है? क्या एक आपराधिक मामले के खिलाफ आप परम्पराओं या पर्सनल लॉ को बचाव के तौर पर पेश कर सकते हैं?' इस्लाम से संबंधित पर्सनल लॉ के अनुसार तरुणाई प्राप्त करने की आयु 15 वर्ष है. उच्च न्यायालय ने पंचकुला में एक बाल गृह में अपनी 16- वर्षीय पत्नी को हिरासत में रखने के खिलाफ 26-वर्षीय एक व्यक्ति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया था.

अदालत ने कहा था कि मुस्लिम लड़की की तरुणाई की उम्र 15 वर्ष है, और वह तरुणाई प्राप्त करने के बाद अपनी इच्छा और सहमति से अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी कर सकती है. अदालत ने कहा था कि इस तरह की शादी बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 की धारा 12 के तहत अमान्य नहीं होगी.

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