नई दिल्ली : महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट अब निर्णायक मोड़ पर आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल के उस फैसले को सही ठहराया है, जिसमें उन्होंने उद्धव सरकार को गुरुवार को बहुमत साबित करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि वह राज्यपाल के फैसले पर रोक नहीं लगा रहा है. वहीं, उद्धव ठाकरे के इस्तीफ के बाद फ्लोर टेस्ट नहीं होगा.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आज होने वाले फ्लोर टेस्ट के खिलाफ शिवसेना के मुख्य सचेतक (चीफ व्हिप) सुनील प्रभु की याचिका पर करीब साढ़े तीन घंटे तक सुनवाई की. उसके बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई अपनी याचिका में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को गुरुवार (30 जून) को बहुमत साबित करने के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल के निर्देश को अवैध करार दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनील प्रभु से सवाल किया कि अगर किसी सरकार ने सदन में बहुमत खो दिया है और विधानसभा अध्यक्ष को समर्थन वापस लेने वालों को अयोग्य घोषित करने के लिए कहा जाता है, तो क्या राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट का इंतजार करना चाहिए ? प्रभु का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अवकाश पीठ के समक्ष दलील दी कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य हैं.
उन्होंने कहा कि राज्यपाल मंत्रियों की सलाह पर काम कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं, लेकिन वे किसी भी हाल में विपक्ष की सलाह पर काम नहीं कर सकते हैं. सिंघवी ने कहा कि अगर गुरुवार को बागी विधायकों को वोट देने की अनुमति दी जाती है, तो अदालत उन विधायकों को वोट देने की अनुमति देगी, जिन्हें बाद में अयोग्य घोषित किया जा सकता है, जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है.