नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में निचली अदालत को रोजाना सुनवाई करने का निर्देश देना संभव नहीं है, क्योंकि इससे अन्य लंबित मामलों की सुनवाई प्रभावित हो सकती है. केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा 2021 में हुई लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी हैं। इस हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई थी. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की पीठ ने निचली अदालत से शीर्ष अदालत को भेजे गए पत्र पर गौर करते हुए कहा कि निचली अदालत मामले पर गंभीरता से सुनवाई कर रही है.
हिंसा के कारण जान गंवाने वाले किसानों के परिवार वालों की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने पीठ से अनुरोध किया था कि वह निचली अदालत को मामले की हर दिन सुनवाई करने का निर्देश दें. भूषण ने पीठ को बताया कि अभियोजन पक्ष के 200 गवाहों में से अब तक केवल तीन के बयान दर्ज किए गए हैं. पीठ ने कहा, 'हर दिन सुनवाई करना संभव नहीं है... वहां अन्य मामले भी लंबित हैं। इससे अन्य लंबित मुकदमे प्रभावित हो सकते हैं.'
भूषण ने कहा कि आम तौर पर देखा गया है कि सुनवाई के दौरान मामले 20 साल तक खिंच सकते हैं. भूषण ने कहा कि निचली अदालत से एक सप्ताह में दो गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए तो कहा जा सकता है. पीठ ने कहा कि निचली अदालत में पांच मई को मामले पर सुनवाई होनी है. शीर्ष अदालत ने मामले को सुनवाई के वास्ते 11 जुलाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि इस संबंध में दिए गए उसके अंतरिम निर्देशों का पालन किया जाए.
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