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Ahobilam temple Controversy : 'धार्मिक स्थलों को धार्मिक लोगों के लिए छोड़िए, सरकार को हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं' - andhrapradesh ahobilam

धार्मिक स्थलों को धार्मिक लोगों के लिए क्यों नहीं छोड़ा जाना चाहिए, यह सवाल सुप्रीम कोर्ट ने किया है. आंध्र प्रदेश स्थित अहोबिलम मंदिर विवाद पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धार्मिक लोगों को ही काम करने दीजिए, इसमें हस्तक्षेप करने की गुंजाइश नहीं है.

Ahobilam temple Controversy
अहोबिलम विवाद

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Published : Jan 27, 2023, 4:40 PM IST

Updated : Jan 27, 2023, 4:54 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ आंध्र प्रदेश सरकार की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि कुरनूल जिले के अहोबिलम मठ मंदिर में एक कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करने के लिए राज्य के पास कानून के तहत कोई अधिकार नहीं है. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने आंध्र प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से कहा कि धार्मिक लोगों को इस मामले को संभालने दिया जाए.

पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति ए.एस. ओका भी शामिल हैं, ने पूछा कि राज्य सरकार इस मामले में क्यों कदम उठा रही है, और कहा: मंदिर के लोगों को इससे निपटने दें. धार्मिक स्थलों को धार्मिक लोगों के लिए क्यों नहीं छोड़ा जाना चाहिए ? शीर्ष अदालत ने कहा कि आंध्र प्रदेश के पास 'श्री अहोबिला मठ परम्परा अधीन श्री लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी देवस्थानम' (अहोबिलम मठ मंदिर) के एक कार्यकारी अधिकारी को नियुक्त करने के लिए कानून के तहत कोई अधिकार क्षेत्र या अधिकार नहीं है.

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के वकील से कहा: अनुच्छेद 136 के तहत, हमें हर मामले को सुलझाने की कोशिश करने की जरूरत नहीं है. क्षमा करें. दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार और अन्य की अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया. उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका में तर्क दिया गया कि अहोबिलम मंदिर अनादि काल से तमिलनाडु में स्थित श्री अहोबिलम मठ के नियंत्रण में है.

उच्च न्यायालय ने कहा था कि मंदिर के लिए एक कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करना, जो मठ का एक हिस्सा है, संविधान के अनुच्छेद 26 (डी) का उल्लंघन करता है, क्योंकि यह मठाधिपति के प्रशासन के अधिकार को प्रभावित करता है. आंध्र प्रदेश सरकार और अन्य ने पिछले साल अक्टूबर में पारित उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी.

इसने स्पष्ट किया कि मंदिर अहोबिलम मठ का एक अभिन्न अंग है और राज्य सरकार द्वारा उठाया गया यह तर्क कि मंदिर और मठ अलग-अलग संस्थाएं हैं, पर विचार नहीं किया जा सकता है. उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि मंदिर अहोबिलम मठ का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है, जिसे हिंदू धर्म के प्रचार के एक हिस्से के रूप में और श्री वैष्णववाद के प्रचार के लिए आध्यात्मिक सेवा प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया था.

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Last Updated : Jan 27, 2023, 4:54 PM IST

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