SC on Plea of Starlight Copper: स्टारलाइट कॉपर यूनिट की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 29 नवंबर को कर सकता है सुनवाई - Starlight Copper Unit
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्टारलाइट कॉपर यूनिट (Closed Starlight Copper Unit) को बंद करने के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई कर सकता है. यह याचिका वेदांता समूह (SC To Hear Plea By Vedanta Group) द्वारा दायर की गई, जिसकी सुनवाई 29 नवंबर, 2023 से हो सकती है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने इस याचिका का उल्लेख किया गया.
नई दिल्ली: तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्टरलाइट कॉपर यूनिट को बंद करने के संबंध में वेदांता समूह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 29 नवंबर, 2023 को सुनवाई कर सकता है. स्टरलाइट कॉपर के एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड समीर पारेख ने कहा कि मामले को अंतिम सुनवाई के लिए तय करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया गया था.
पारेख ने कहा कि हमने प्रस्तुत किया कि मामला लंबे समय से लंबित है और तत्काल समाधान की आवश्यकता है, क्योंकि इतनी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संपत्ति बेकार पड़ी है और हजारों लोगों की आजीविका दांव पर है. माननीय न्यायालय ने मामले को बोर्ड के शीर्ष पर अंतिम सुनवाई के लिए दो गैर-विविध दिनों के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.
9 अक्टूबर को, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसने अपने रजिस्ट्रार को तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्टरलाइट कॉपर यूनिट को बंद करने के संबंध में वेदांत समूह की याचिका पर सुनवाई करने के लिए दो समर्पित तारीखें आवंटित करने का निर्देश दिया है.
इस साल मई में शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु सरकार से अपने 10 अप्रैल के निर्देश के संबंध में उचित निर्णय लेने को कहा था, जिसके द्वारा उसने वेदांता समूह को स्थानीय स्तर की निगरानी समिति की देखरेख में तूतीकोरिन में अपनी स्टरलाइट कॉपर इकाई का रखरखाव करने की अनुमति दी थी.
शीर्ष अदालत ने कहा था कि जिला कलेक्टर ने संयंत्र परिसर में नागरिक और संरचनात्मक सुरक्षा अखंडता मूल्यांकन अध्ययन करने, पुर्जों और उपकरणों को हटाने और परिवहन करने और प्रक्रिया में बेकार पड़े रिवर्ट और अन्य कच्चे माल को निकालने जैसी गतिविधियों की सिफारिश नहीं की थी. शीर्ष अदालत ने तब संयंत्र में शेष जिप्सम को खाली करने की अनुमति दी थी.
शीर्ष अदालत ने 10 अप्रैल के अपने आदेश में कहा कि उन कार्यों के संबंध में जिनकी जिला कलेक्टर द्वारा अनुशंसा नहीं की गई थी, तमिलनाडु राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन का कहना है कि राज्य सरकार एक बार फिर मूल्यांकन करेगी कि क्या उस संबंध में कोई और या पूरक निर्देश जारी किए जाने चाहिए.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मई 2018 में, कथित तौर पर तांबा गलाने वाली इकाई के कारण होने वाले पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों की एक बड़ी भीड़ पर पुलिस की खुली गोलीबारी के दौरान कम से कम 13 लोग मारे गए और कई घायल हो गए थे.