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आंध्र प्रदेश - तेलंगाना में मतदाता सूची से नाम हटाने की शिकायत पर नोटिस जारी, संपत्ति विवाद पर भी एपी ने की अपील - voter list in telangana

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मतदाता सूची से नाम हटाने की शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. याचिका में बताया गया है कि कई सारे ऐसे नाम हैं जो दोनों ही राज्यों में बतौर वोटर शामिल हैं. आंध्र प्रदेश ने एक याचिका लगाकर तेलंगाना के साथ चल रहे संपत्ति विवाद पर जल्द फैसला सुनाने की अपील की है.

sc
सुप्रीम कोर्ट

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Published : Dec 14, 2022, 12:45 PM IST

Updated : Dec 14, 2022, 7:48 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि तेलंगाना की मतदाता सूची के ड्राफ्ट में लगभग 70 लाख नाम तीन खंडों में गलत पाए गए हैं. इसमें लगभग 48 लाख वोटर ऐसे पाए गए हैं जिनके नाम/फोटो आदि एक से ज्यादा जगह हैं. याचिका में बताया गया है कि वैसे लोग जो आंध्रप्रदेश चले गए, उनका भी नाम आंध्र प्रदेश की मतदाता सूची में है, जबकि उनमें से अधिकांश तेलंगाना में भी वोटर हैं. याचिकाकर्ता के अनुसार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र की आधारशिला है, ऐसे में इस तरह की गड़बड़ी संवैधानिक ढांचे पर बड़ा आघात है.

एक दूसरी याचिका में आंध्र प्रदेश ने संपत्ति बंटवारेपर जल्द फैसला सुनाने की अपील की है. आंध्र प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट में एपी और तेलंगाना के बीच संपत्ति और देनदारियों के विभाजन की मांग की है, जो उनके अलग होने के बाद आज तक शुरू नहीं हुआ है. राज्य का तर्क है कि कुल 1,42,601 करोड़ रुपये की संपत्ति है जो अभी तक विभाजित नहीं की गई है और तेलंगाना को लाभान्वित कर रही है, क्योंकि इनमें से 91% हिस्सा हैदराबाद में है. याचिका में कहा गया है कि संपत्तियों का बंटवारा नहीं होना मौलिक अधिकारों और अन्य संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि 12 संस्थान हैं जिनकी संयुक्त संपत्ति का मूल्य 1759 करोड़ रुपये है और सभी तेलंगाना में स्थित हैं.

याचिका के अनुसार, 'इन संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारी (लगभग 1,59,096) 2014 से अधर में लटके हुए हैं क्योंकि कोई उचित विभाजन नहीं है. विभाजन के बाद सेवानिवृत्त हुए पेंशनभोगी कर्मचारियों की स्थिति दयनीय है और उनमें से कई को अंतिम लाभ नहीं मिला है. इसलिए जरूरी है कि इन सभी संपत्तियों को जल्द से जल्द विभाजित किया जाए और इस मुद्दे को शांत किया जाए.' याचिका में तर्क दिया गया है कि विभाजन न होने के कारण संस्थानों का कामकाज प्रभावित हुआ है. इसने अदालत से दोनों राज्यों के बीच संपत्ति के तेजी से विभाजन को सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया.

Last Updated : Dec 14, 2022, 7:48 PM IST

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