नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य राकेश कुमार और तकनीकी सदस्य आलोक श्रीवास्तव को नोटिस जारी कर पूछा कि फिनोलेक्स केबल्स विवाद मामले में उसके आदेश की अवहेलना के लिए उनके खिलाफ अवमाननाकार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए. मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि बड़े संसाधन और पैसे वाले लोग सोचते हैं कि वे अदालत को मजाक में ले लेंगे और ऐसा बिल्कुल नहीं होगा.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि 'कॉर्पोरेट भारत को पता होना चाहिए कि अगर हमारे आदेशों को पलटा जा रहा है, तो उन्हें पता होना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट है जो देख रहा है. अब हम बस यही कहना चाहते हैं…' इस पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. उन्होंने फिनोलेक्स केबल्स की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) से संबंधित एनसीएलएटी पीठ के 13 अक्टूबर के फैसले को उसकी योग्यता पर विचार किए बिना रद्द कर दिया.
पीठ ने कहा कि एनसीएलएटी के सदस्य, न्यायमूर्ति अशोक भूषण नहीं, बल्कि उनके अलावा, एक सड़ांध है और एनसीएलएटी अब सड़ांध पर उतर आया है और यह मामला उस सड़ांध का एक उदाहरण है. पीठ ने कहा कि हमारा प्रथम दृष्टया मानना है कि एनसीएलएटी के सदस्य सही तथ्यों का खुलासा करने में विफल रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनसीएलएटी सदस्यों के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करना दुर्लभ है.