नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा से संबंधित मामले में जवाब न देने वाले राज्यों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने राज्यों की खिंचाई करते हुए कहा कि उन्हें (राज्यों को) बहुत खुशी होगी कि अब काउंटर फाइल करने का समय आ गया और उन्हें जवाब दाखिल नहीं करना होगा.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने एक गैंगस्टर को जमानत देने से इनकार करने पर धनबाद के एक न्यायाधीश की हत्या के मद्देनजर न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा के लिए क्या किया गया है? इस पर केंद्र और राज्य सरकारों की प्रतिक्रिया मांगी थी. हालांकि केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है लेकिन कुछ राज्य ऐसा करने में विफल रहे.
केंद्र की ओर से कोर्ट में पेश हुए एसजी तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि पहले से ही गृह मंत्रालय के कुछ दिशा-निर्देश हैं, जिनका राज्यों को पालन करना होता है. केंद्र उन्हें बार-बार ऐसा करने के लिए कह रहा है. एसजी ने अधिकारियों की सुरक्षा के लिए एक विशेष इकाई बनाने का भी सुझाव दिया. कोर्ट ने पूछा कि क्या राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कोई सुरक्षा बल हो सकता है? इस पर एसजी ने कहा कि राज्यों के पास अलग-अलग मामले हैं और उनके लिए यह अच्छा होगा कि वे निर्णय लें और सुरक्षा प्रदान करें.
कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि राज्यों द्वारा दिशा-निर्देशों का पालन किया जाता है या नहीं? कोर्ट ने कहा कि सरकारें, न्यायाधीशों, अदालतों, वादियों आदि को किस हद तक सुरक्षा प्रदान कर रही हैं? यह जानना भी जरुरी है.