दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से आपात बैठक बुलाने को कहा, 17 को होगी सुनवाई

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वायु प्रदूषण में पराली जलाए जाने का योगदान मात्र चार प्रतिशत है, ऐसे में इसे लेकर हल्ला मचाने का कोई आधार नहीं है. कोर्ट ने केंद्र एवं राज्यों से इस बारे में फैसला लेने को कहा कि किन उद्योगों, वाहनों और संयंत्रों का संचालन कुछ समय के लिए रोका जा सकता है,

देश की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में प्रदूषण
देश की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में प्रदूषण

By

Published : Nov 15, 2021, 8:10 AM IST

Updated : Nov 15, 2021, 12:26 PM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इससे पहले दिल्ली सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दिया है. हलफनामे में सरकार ने कहा कि दिल्ली पूर्ण लॉकडाउन लगाने को तैयार है. इसके साथ-साथ सरकार ने यह भी कहा कि अधिक सार्थक होगा अगर पड़ोसी राज्यों के अंतर्गत आने वाले एनसीआर में भी लॉकडाउन लगाया जाए.

कोर्ट ने केंद्र एवं राज्यों से इस बारे में फैसला लेने को कहा कि कुछ किन उद्योगों, वाहनों और संयंत्रों का संचालन कुछ समय के लिए रोका जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने निगमों को जिम्मेदार ठहराने पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई और कहा कि झूठे बहाने उसे प्रचार के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नारों पर खर्च और कमाई की लेखा परीक्षा कराने पर मजबूत करेंगे.

कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह इस मामले पर बैठक बुलाए. इसके साथ ही, अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी. बता दें, दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के मामले को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई थी. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर जरूरत पड़े तो दो दिन का लॉकडाउन लगा दें. याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा- पंजाब में चुनाव हैं. वहां सरकार अलोकप्रिय नहीं होना चाहती, इसलिए पराली जलाने वालों पर कार्रवाई नहीं कर रही. इसलिए, पूर्व जज जस्टिस लोकुर की अध्यक्षता में कमेटी बनाना बेहतर कदम था.

चीफ जस्टिस ने कहा- हम अभी नई कमेटी पर बात नहीं कर सकते. हमें सॉलिसिटर जनरल से जानने दीजिए कि सरकार क्या कर रही है. सॉलिसिटर- दिल्ली सरकार ने कई कदम उठाए हैं. स्कूल, दफ्तर बंद रखने जैसे उपाय हैं. हरियाणा भी मिलते-जुलते कदम उठा रहा है. जेनसेट बंद रखना जैसे उपाय भी अपनाए जा रहे हैं.

सॉलिसीटर ने आगे कहा- कमेटी की बैठक हुई. हमारी जानकारी में पराली के धुएं का योगदान कुल प्रदूषण में 4% ही है. सड़क से धूल, निर्माण कार्य, गाड़ी आदि से बड़ा योगदान. ईंट भट्ठों को बंद रखने, सड़क निर्माण के हॉट मिक्स प्लांट बंद रखने जैसे उपाय अपनाए जा रहे हैं. सड़क साफ रखने वाली मशीन का इस्तेमाल होगा. जस्टिस सूर्यकांत- ऐसी कितनी मशीनें हैं? क्या उनकी कीमत ऐसी है कि राज्य सरकार उन्हें खरीद सके. जो लोग इसे चलाएंगे, वह बाद में क्या करेंगे? सॉलिसिटर- लॉकडाउन को अंतिम उपाय की तरह देखा जाना चाहिए. उससे पहले कई कदम उठाए जा सकते हैं.

बता दें कि दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर अरविंद केजरीवाल सरकार इससे निपटने के लिए अपने स्तर से कई फैसले ले रही है. सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द इस समस्या से निपटा जाए. केजरीवाल सरकार ने फैसला लिया है कि आज से 17 नवंबर तक स्कूल एक हफ्ते तक के लिए बंद कर दिया गया है.

वहीं, दिल्ली के बाद हरियाणा सरकार ने भी बड़ा कदम उठाया है. खट्टर सरकार ने गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर में चल रहे स्कूलों को 17 नवंबर तक बंद करने का फैसला लिया है. इस सबंध में सरकार ने रविवार को आदेश दिया कि यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है.

पढ़े:दिल्ली में प्रदूषण ने बिगाड़े हालात, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- संभव हो तो 2 दिन का लॉकडाउन लगा दें

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब है कि लोग अपने घरों के भीतर मास्क पहन रहे हैं. इस पीठ में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे. पीठ ने कहा कि वायु प्रदूषण के लिये सिर्फ पराली जलाए जाने को वजह बताना सही नहीं है, इसके लिए वाहनों से होने वाला उत्सर्जन, पटाखे और धूल जैसे अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं.

न्यायालय ने इस बात पर चिंता जताई कि राष्ट्रीय राजधानी में स्कूल खुल गए हैं और बच्चों को गंभीर प्रदूषण के बीच बाहर निकलना पड़ रहा है. पीठ ने कहा, हर किसी में किसानों को जिम्मेदार ठहराने की धुन सवार है. पहले दिल्ली के लोगों को नियंत्रित होने दीजिए. पटाखों, वाहनों से होने वाले प्रदूषण आदि को रोकने लिए प्रभावी तंत्र कहां है?

Last Updated : Nov 15, 2021, 12:26 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details