नई दिल्ली : लखीमपुर खीरी में चार किसानों सहित आठ लोगों की 'निर्मम' हत्या मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से असंतुष्ट उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सवाल किया कि जिन आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है. इसके साथ ही न्यायालय ने निर्देश दिया कि मामले में साक्ष्य और संबद्ध सामग्री नष्ट नहीं हों.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा, 'कानून को सभी आरोपियों के खिलाफ अपना काम करना चाहिए' तथा आठ लोगों की निर्मम हत्या की जांच के संबंध में सरकार को सभी उपचारात्मक कदम उठाने होंगे ताकि विश्वास कायम हो सके.'
राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पीठ को आश्वासन दिया कि 'आज और कल के बीच (जांच में) जो भी कमी है , उसे पूरा किया जाएगा क्योंकि संदेश चला गया है.'
पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'विद्वान वकील ने राज्य सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का जिक्र किया है और इस संबंध में स्थिति रिपोर्ट भी दायर की गई है. लेकिन हम राज्य के कदमों से संतुष्ट नहीं हैं.'
पीठ ने कहा, '...वकील ने हमें आश्वासन दिया है कि वह सुनवाई की अगली तारीख पर इस अदालत को संतुष्ट करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे तथा वह किसी अन्य एजेंसी द्वारा जांच किए जाने के विकल्पों पर भी विचार करेंगे. इसे देखते हुए हम इस पहलू में विस्तार से जाने के इच्छुक नहीं हैं. इस मामले को अवकाश के तुरंत बाद सूचीबद्ध करें. इस बीच, विद्वान अधिवक्ता ने हमें आश्वासन दिया कि वह राज्य के संबंधित शीर्ष पुलिस अधिकारी से बात करेंगे ताकि इस घटना से संबंधित साक्ष्य और अन्य सामग्री की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा सकें.'
पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं. पीठ ने कहा, 'हम कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं. दूसरे, सीबीआई भी कारणों का कोई हल नहीं है, आप कारण जानते हैं ... हम भी सीबीआई में दिलचस्पी नहीं रखते क्योंकि ऐसे लोग हैं ... इसलिए बेहतर होगा कि आप कोई और तरीका निकालें. हम अवकाश के तुरंत बाद गौर करेंगे. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें अपना हाथ बंद रखना चाहिए. उन्हें कार्रवाई करनी चाहिए ....'
पुलिस के नरम रुख पर सवाल उठाया