नई दिल्ली :ग्रामीण और शहरी भारत में 'डिजिटल विभाजन' को उजागर करते हुए उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सरकार से कोविड टीकाकरण के लिए कोविन पर पंजीकरण अनिवार्य बनाए जाने, उसकी टीका खरीद नीति और अलग-अलग दाम को लेकर सवाल पूछते हुए कहा कि 'अभूतपूर्व' संकट से प्रभावी तौर पर निपटने के लिए नीति निर्माताओं को 'जमीनी हकीकत से वाकिफ होना चाहिए'.
'नीतियों में लचीलापन रखे सरकार'
केंद्र से 'जमीनी स्थिति का पता लगाने' और देश भर में कोविड-19 टीकों की एक कीमत पर उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहते हुए न्यायामूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार को परामर्श दिया कि 'महामारी की पल-पल बदलती स्थिति' से निपटने के लिए वह अपनी नीतियों में लचीनापन रखे.
'निर्णय लेने के लिए पर्याप्त अधिकार'
पीठ ने कहा, 'हम नीति नहीं बना रहे हैं. 30 अप्रैल का एक आदेश है कि यह समस्याएं हैं. आपको लचीला होना चाहिए. आप सिर्फ यह नहीं कह सकते कि आप केंद्र हैं और आप जानते हैं कि क्या सही है…. हमारे पास इस मामले में कड़े निर्णय लेने के लिए पर्याप्त अधिकार हैं.' पीठ में न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट भी शामिल हैं.
'हमारा इरादा किसी की निंदा नहीं'
सुनवाई के अंत में पीठ ने हालांकि महामारी से निपटने के लिए केंद्र और विदेश मंत्री एस जयशंकर के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, 'हमारा इरादा किसी की निंदा या किसी को नीचा दिखाना नहीं है. जब विदेश मंत्री अमेरिका गए और बातचीत की तो यह स्थिति के महत्व को दर्शाता है.'
पीएम के प्रयासों का किया जिक्र
केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने स्थिति से प्रभावी रूप से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विभिन्न राष्ट्रों के प्रमुखों के साथ हुई वार्ता का संदर्भ दिया और पीठ से ऐसा कोई आदेश पारित न करने का अनुरोध किया जिससे फिलहाल टीका हासिल करने के लिए चल रहे कूटनीतिक व राजनीतिक प्रयास प्रभावित हों.
पीठ ने कहा, 'इस सुनवाई का उद्देश्य बातचीत संबंधी है. मकसद बातचीत शुरू करना है जिससे दूसरों की आवाज को सुना जा सके. हम कुछ ऐसा नहीं कहने जा रहे जिससे राष्ट्र का कल्याण प्रभावित हो.'
कंपनियों से केंद्र की चल रही बात
मेहता ने महामारी की स्थिति के सामान्य होने के बारे में अदालत को सूचित किया और कहा कि टीकों के लिहाज से पात्र (18 साल से ज्यादा उम्र की) संपूर्ण आबादी का 2021 के अंत तक टीकाकरण किया जाएगा. मेहता ने पीठ को सूचित किया कि फाइजर जैसी कंपनियों से केंद्र की बात चल रही है. अगर यह सफल रहती है तो साल के अंत तक टीकाकरण पूरा करने की समय-सीमा भी बदल जाएगी.
पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार ने टीकाकरण के लिए 'कोविन' पर पंजीयन अनिवार्य किया है तो ऐसे में वह देश में जो डिजिटल विभाजन का मुद्दा है, उसका समाधान कैसे निकालेगी.