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लखीमपुर हिंसा पर एससी की यूपी सरकार को फटकार, कहा 2 FIR में अंतर नहीं कर पा रही SIT

यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है. कोर्ट ने इसे लेकर यूपी पुलिस पर सवाल उठाए हैं. SC ने कहा, 'स्टेटस रिपोर्ट में कुछ भी नया नहीं है. हम जो उम्मीद कर रहे थे वैसा कुछ नहीं है.'

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Published : Nov 8, 2021, 12:22 PM IST

Updated : Nov 8, 2021, 2:28 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट पर नाखुशी व्यक्त की. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि रिपोर्ट में गवाहों से पूछताछ करने के अलावा और कुछ भी नहीं कहा गया है.

यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है. कोर्ट ने इसे लेकर यूपी पुलिस पर सवाल उठाए हैं. SC ने कहा, 'स्टेटस रिपोर्ट में कुछ भी नया नहीं है. हम जो उम्मीद कर रहे थे वैसा कुछ नहीं है.'सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम किसी दूसरे हाईकोर्ट के रिटायर जज को जांच की निगरानी के लिए नियुक्त करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पूछा, 'केवल आरोपी आशीष मिश्रा का ही मोबाइल मिला? बाकी आरोपियों के मोबाइल का क्या हुआ? 'शीर्ष अदालत ने कहा कि हमने 10 दिन का समय दिया, लैब की रिपोर्ट भी नहीं आई. वहीं, यूपी सरकार की तरफ से वकील हरीश साल्वे ने कहा, हम लैब से संपर्क कर रहे हैं. CJI ने सेल टावरों के माध्यम से आप पहचान सकते हैं कि क्षेत्र में कौन से मोबाइल एक्टिव थे, क्या अन्य आरोपी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि एक विशेष आरोपी को 2 एफआईआर को ओवरलैप करके लाभ दिया जा रहा है.' हरीश साल्वे ने कहा कि चश्मदीद गवाह हैं. इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि ये आरोपी घटना स्थल पर थे.सीसीटीवी फुटेज के जरिए साफ होता है, हमने बयान दर्ज करने के लिए गवाहों को बुलाया है.

CJI ने कहा, आपको जांच करनी होगी. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा 'अब कहा जा रहा है कि दो FIR हैं. एक FIR में जुटाए गए सबूत दूसरे में इस्तेमाल किए जाएंगे एक आरोपी को बचाने के लिए, दूसरी FIR में एक तरह से सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं.'CJI ने कहा, दोनों FIR की अलग-अलग जांच हो. इस पर साल्वे ने कहा कि अलग जांच हो रही है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एक किसानों की हत्या का मामला है तो दूसरा पत्रकार व राजनीतिक कार्यकर्ता का.गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं जो मुख्य आरोपी के पक्ष में लगते हैं. हरीश साल्वे ने कहा कि अगर कोई आगे आता है और कहता है कि उसका बयान दर्ज किया जाए तो हमें वह करना होगा.

जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा, 'यह अलग बात है और यह अलग बात है जब आप कुछ लोगों की पहचान करने का प्रयास करें और फिर बयान दर्ज करें.'सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम किसी दूसरे हाईकोर्ट के रिटायर जज को जांच की निगरानी के लिए नियुक्त करेंगे. दोनों FIR की अलग-अलग जांच हो.अलग-अलग जांच हो. अलग-अलग ही चार्जशीट दाखिल हो.रिटायर जज को इसकी निगरानी करने दी जाए.सुप्रीम कोर्ट ने यूपी को खरी- खरी सुनाते हुए कहा, 'हमें लगता है कि SIT दोनों FIR के बीच एक दूरी बनाए रखने में असमर्थ है. ओवरलैपिंग या इंटरलिंकिंग नहीं होनी चाहिए. हम नहीं चाहते कि आपका न्यायिक आयोग बना रहे, इससे भरोसा बनाए रखा नहीं जा सकता.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हम मामले की जांच में निष्पक्षता और स्वतंत्रता चाहते हैं इसलिए चार्जशीट दाखिल होने तक एक रिटायर्ड हाईकोर्ट जज की नियुक्ति करना चाहते हैं.'यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पत्रकार रमन कश्यप की मौत कार से कुचलकर हुई. पहले कंफ्यूजन था कि क्या वो आशीष मिश्रा की टीम का हिस्सा था लेकिन बाद में पता लगा कि वो भीड़ का हिस्सा हैं और कार से कुचल दिया गया.जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि इसलिए हमें निगरानी की जरूरत है. हरीश साल्‍वे ने कहा, 'जो कुछ भी हो रहा है उसके राजनीतिक रंग हैं.' इस पर CJI ने कहा कि हम राजनीतिक रंग नहीं जोड़ना चाहते. एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को इसकी निगरानी करने दें. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को रिटायर हाईकोर्ट जज का नाम सुझाने को कहा है.

पढ़ें:लखीमपुर हिंसा : तीन और आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज, आशीष की जमानत पर सुनवाई कल

मामले में अब शुक्रवार को सुनवाई होगी. CJI ने यूपी सरकार से पूछा कि मृतक श्याम सुंदर के मामले में हो रही जांच में लापरवाही पर क्या कहेंगे? गौरतलब है कि श्याम सुंदर की पत्नी वकील ने मामले की जांच CBI से कराने की मांग की है. इस पर SC ने मृतक श्याम सुंदर की पत्नी के वकील से कहा कि सीबीआई को मामला सौंपना कोई हल नहीं है.

Last Updated : Nov 8, 2021, 2:28 PM IST

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