नई दिल्ली:आंध्र प्रदेश सरकार ने सरकारी योजनाओं का प्रचार करने और लाभ उठाने में जनता की सहायता के लिए सितंबर 2020 में स्वयंसेवकों की नियुक्ति की थी. प्रत्येक 50 घरों के लिए एक स्वयंसेवक की दर से 2.56 लाख स्वयंसेवकों की नियुक्ति की गई थी. जून 2022 में, आंध्र प्रदेश सरकार ने 2.56 लाख ग्राम/वार्ड के स्वयंसेवकों में से प्रत्येक को 5000 रुपये प्रति माह के मानदेय के अलावा, एक व्यापक परिचालित समाचार पत्र खरीदने के लिए 200 रुपये की राशि का भुगतान करने के लिए एक सरकारी आदेश पारित किया था.
बाद में दिसंबर 2022 में एक और शासनादेश पारित किया गया, जिसमें 1.45 लाख ग्राम/वार्ड पदाधिकारियों में से प्रत्येक को 200 रुपये का भुगतान स्वीकृत किया गया. EENADU ने फरवरी 2023 में अमरावती में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में जीओ को इस आधार पर चुनौती दी कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्री और पार्टी पदाधिकारी इस पर जोर दे रहे हैं कि ईनाडु एक येलो मीडिया है और उसे जनता को नहीं पढ़ना चाहिए. उसके बजाए 'साक्षी' अखबार को खरीदने पर भी जोर दिया.
इस फैसले को इनाडु ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसने अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया और मामले को वर्ष 2020 की एक अन्य जनहित याचिका के साथ सुनवाई के लिए ले लिया. आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ के उक्त आदेश से व्यथित ईनाडु ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक विशेष अनुमति याचिका दायर की. 29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया. सोमवार को प्रतिवादी सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए और सीएस वैद्यनाथन, रंजीत कुमार वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने उनका प्रतिनिधित्व किया.