नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने एक मामले में उसके समक्ष दायर भारी-भरकम दस्तावेजों के बंडलों पर शुक्रवार को नाराजगी जाहिर की और कहा कि इतनी अधिक मात्रा में सामग्रियां न्यायाधीशों को 'आतंकित' करने के लिए दाखिल की जाती हैं.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने पिछले साल भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा पारित टैरिफ आदेश की वैधता से संबंधित याचिकाओं पर बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के संबंध में दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए टिप्पणियां कीं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले में 51 खंड दायर किए गए हैं. पीठ ने कहा, 'कल, हमें इन सामग्रियों को लाने के लिए एक लॉरी की व्यवस्था करनी पड़ी. मामले में 51 खंडों में दस्तावेज दाखिल करने का क्या मकसद है? हम इन्हें पढ़ते नहीं रह सकते हैं. आप इतने खंडों में दस्तावेज दायर कर डराना चाहते हैं.'