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धोखे से धर्मांतरण कराने से रोकने के लिए निर्देश जारी करने वाली अनुरोध याचिका उच्चतम न्यायालय ने की खारिज - सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कथित तौर पर हिंदुओं और नाबालिग बच्चों के कपटपूर्ण धर्मांतरण पर सवाल उठाया गया था और इसे नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की भी मांग की गई थी.

Supreme court
उच्चतम न्यायालय

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 6, 2023, 3:09 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार को देश में धोखे से किए जाने वाले धर्मांतरण को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सवाल किया कि अदालत को इन सबमें क्यों पड़ना चाहिए? अदालत सरकार को परमादेश कैसे जारी कर सकती है. कर्नाटक के रहने वाले याचिकाकर्ता की तरफ से पेश अधिवक्ता जेरोम एंटो ने कहा कि हिंदुओं और नाबालिगों को निशाना बनाया जा रहा है तथा उनका धोखे से धर्मांतरण किया जा रहा है.

पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अगर कोई ताजा मामला है और किसी पर मुकदमा चल रहा है, तो हम उस पर विचार कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि यह कैसी जनहित याचिका है? जनहित याचिका एक जरिया बन गई है और हर कोई इस तरह की याचिकाएं लेकर आ रहा है.

यह दलील दिए जाने पर कि याचिकाकर्ता को इस तरह की शिकायत लेकर कहां जाना चाहिए, पीठ ने कहा कि हम सलाहकार के क्षेत्राधिकार में नहीं हैं। (याचिका) खारिज की जाती है. याचिका में भारत में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई है, जिसमें दावा किया गया है कि धर्मांतरण एक प्रकार का सांस्कृतिक आतंकवाद है, जो स्वदेशी लोगों और उनकी संस्कृति को शिकार बनाता है.

(पीटीआई-भाषा)

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