नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को एक बलात्कार पीड़िता का गर्भपात के मामले में सुनवाई की. जानकारी के मुताबिक, पीड़िता 28 सप्ताह से गर्भवती है. इस मामले में गुजरात उच्च न्यायालय ने पीड़िता को राहत देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. मामले की सुनवाई जस्टिस बीवी नगरथना और उज्जल भुयान की पीठ ने की. याचिकाकर्ता के वकील शशांक सिंह ने कहा कि मेडिकल बोर्ड ने गर्भपात के पक्ष में राय दी थी लेकिन उच्च न्यायालय ने गर्भपात की याचिका पर तत्काल राहत नहीं दिया.
वकील ने पीठ को सूचित किया कि 7 अगस्त को उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की गई थी. अदालत ने 8 अगस्त को इस मामले में सुनवाई करते हुए गर्भावस्था की स्थिति का पता लगाने के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने का आदेश दिया था. 10 अगस्त को बोर्ड की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी. 11 अगस्त को, अदालत ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लिया और इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 23 अगस्त तय कर दी.
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात उच्च न्यायालय की 12 दिनों के बाद मामले की सुनवाई करने के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त किया. न्यायमूर्ति नगरथना ने कहा कि अदालत इसे 23 अगस्त तक के लिए कैसे टाल सकती है. तब तक कितने मूल्यवान दिन बर्बाद हो जायेंगे. कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि याचिका 7 अगस्त, 2023 को उच्च न्यायालय के समक्ष दायर की गई थी. 8 अगस्त को सुनवाई के दौरान मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया. 11 अगस्त को, चिकित्सा अधीक्षक ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की.
न्यायमूर्ति नगरथना ने कहा कि उच्च न्यायालय ने 23 अगस्त को इस मामले को सूचीबद्ध किया. ऐसा करते हुए इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि इस तरह के मामलों में हर दिन महत्वपूर्ण है. कोर्ट ने कहा कि जब याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय से संपर्क किया, तो वह पहले से ही 26 सप्ताह की गर्भवती थी. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की याचिका को 17 अगस्त को उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया था. पीठ ने इस बात पर असंतोष व्यक्त किया कि उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज करने का कोई कारण नहीं दिया. न्यायमूर्ति नगरथना ने कहा कि 11 अगस्त से आज तक काफी मूल्यवान नष्ट हो गया.