नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने एक बुजुर्ग पाकिस्तानी नागरिक को रिहा करने का शुक्रवार को निर्देश दिया जो सात साल से अधिक समय से यहां एक हिरासत केंद्र में बंद है और पाकिस्तान ने उसे अपना नागरिक स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने केंद्र को उसे दीर्घकालिक वीजा देने पर फैसला करने का निर्देश दिया ताकि वह भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सके.
जानकारी के मुताबिक कमर 1959 में मेरठ में पैदा हुआ था, कुछ समय बाद अपनी मां के साथ वह पाकिस्तान चला गया था. 1989 में वह पाकिस्तानी पासपोर्ट के जरिए दोबारा भारत लौटा, शादी रचाई. इसी दौरान उसका वीजा एकस्पायर हो गया. जिसके चलते उसकी 2011 में गिरफ्तारी हुई थी. बता दें, 2015 के बाद से वह डिटेंशन सेंटर में रह रहा था.
पीठ ने कहा कि केंद्र को चार महीने में अपना फैसला अदालत के सामने रखना चाहिए. पीठ ने कहा कि मोहम्मद क़मर को न्यायाधिकरण ने विदेशी घोषित कर दिया था और उसे 5000 रुपये के मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर रिहा किया जाएगा. पीठ के अनुसार, उसे हर महीने में एक बार मेरठ के एक थाने में रिपोर्ट करना होगा. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कमर ने एक महिला से शादी की थी, जो भारतीय नागरिक है और उनके पांच बच्चे हैं. उनके बच्चों ने कमर को हिरासत केंद्र से रिहा करने अनुरोध करते हुए याचिका दायर की है.