नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को पत्रकार तरुण तेजपाल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 2013 के बलात्कार के मामले में उन्हें बरी किए जाने के खिलाफ दायर अपील पर बंबई उच्च न्यायालय में बंद कमरे में सुनवाई का अनुरोध किया गया था. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने तेजपाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और अमित देसाई की इस दलील को स्वीकर नहीं किया कि पत्रकार की प्रतिष्ठा और निजता की सुररक्षा के लिए सुनवाई बंद कमरे में की जाए.
पीठ ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 327 का हवाला दिया, जिसका जिक्र तेजपाल के वकीलों ने किया था. पीठ ने कहा कि आमतौर पर किसी आपराधिक मामले में सुनवाई खुली होना चाहिए और सुनवाई अदालत के न्यायाधीश को यह सुनिश्चित करने के लिए बंद कमरे में कार्यवाही का आदेश देने का अधिकार है कि महिला 'निडर होकर' अपना बयान दे. पीठ ने कहा कि किसी आरोपी या पुरुष के लिए ऐसा नहीं किया जा सकता है.