नई दिल्ली : देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अंतरजातीय विवाह संभवत: जातियों एवं समुदायों के बीच तनाव को कम करेंगे. इसके साथ ही उल्लेख किया कि अब शिक्षित युवा लड़के-लड़कियां अपना जीवनसाथी खुद चुन रहे हैं, जो पूर्ववर्ती सामाजिक नियमों से विदाई जैसा है. शीर्ष अदालत ने कहा कि युवाओं को बुजुर्गों से धमकी का सामना करना पड़ता है और अदालतें इन युवाओं की सहायता के लिए आगे आ रही हैं.
इसने कहा कि पुलिस अधिकारियों को आगे बढ़कर जांच अधिकारियों को सलाह देनी चाहिए और सामाजिक तौर पर संवेदनशील मामलों से निपटने के लिए प्रशिक्षण मुहैया कराने के साथ ही कुछ दिशा-निर्देश तय करने चाहिए. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने एक युवती के अभिभावकों द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी को रद्द करते हुए उक्त टिप्पणियां कीं. कर्नाटक के बेलगावी जिले में लड़की ने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर अपनी पसंद के लड़के से विवाह किया था.