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अबू सलेम की सजा की अवधि पर सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय से मांगा हलफनामा - extradition of gangster Abu Salem

गैंगस्टर अबू सलेम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपनी हिरासत को अवैध बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इस याचिका में प्रत्यर्पण के दौरान पुर्तगाल की अदालत में किए गए वादे के आधार पर सजा कम करने की मांग की गई है. इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से स्थिति स्पष्ट करने के लिए हलफनामा दाखिल करने को कहा है.

Supreme Court seeks affidavit from the Ministry of Home Affairs
Supreme Court seeks affidavit from the Ministry of Home Affairs

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Published : Mar 8, 2022, 3:39 PM IST

नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के मुंबई बम धमाकों में सजा काट रहे गैंगस्टर अबू सलेम की सजा की अवधि पर केंद्रीय गृह सचिव से हलफनामा दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय से यह स्पष्ट करने को कहा कि पुर्तगाल से प्रत्यर्पण के दौरान तत्कालीन उप प्रधानमंत्री एल.के. आडवाणी ने गैंगस्टर अबू सलेम को 25 साल से अधिक समय तक जेल में नहीं रखने का वादा किया था. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश ने कहा कि केंद्र को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना होगा.

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि पुर्तगाल के अधिकारियों को दिए गए आश्वासन का पालन नहीं करने के व्यापक प्रभाव हो सकते हैं और यह अन्य देशों से भगोड़ों के प्रत्यर्पण की मांग करते समय समस्या पैदा कर सकता है. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वह मामले में सीबीआई के जवाब से खुश नहीं है, इसलिए गृह सचिव से तीन सप्ताह में जवाब मांगा गया है.

सीबीआई ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भारतीय अदालत 2002 में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री की ओर से पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन से बाध्य नहीं है. ऐसे किसी भी गारंटी को नहीं माना जा सकता है कि भारत में कोई भी अदालत आरोपी अबू सलेम को भारतीय कानूनों द्वारा प्रदान की गई सजा नहीं देगी. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी की अपील पर जब फैसला सुनाया गया था, तब भी यह माना गया था कि भारत के कोर्ट पुर्तगाली अदालत का नियम मानने के लिए बाध्य नहीं हैं. हालांकि इस आश्वासन का एक प्रेरक वैल्यू है. अबू सलेम के वकील ऋषि मल्होत्रा ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि पुर्तगाल के नियमों के मुताबिक अदालतें 25 साल से अधिक की सजा नहीं दे सकती हैं. दोनों पक्षों की दलील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.

अबू सलेम को 1993 के मुंबई विस्फोटों में उनकी भूमिका और एक व्यापारी की हत्या के लिए टाडा कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. मुंबई धमाकों के बाद अबू सलेम पुर्तगाल भाग गया था. अबू सलेम(Abu Salem) उर्फ ​​अब्दुल कय्यूम अंसारी और मोनिका बेदी को 18 सितंबर 2002 को पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद प्रत्यर्पण के तहत उसे 2005 में भारत लाया गया. सलेम के वकील का कहना है कि प्रत्यर्पण के दौरान भारतीय अधिकारियों ने 2002 और 2005 में पुर्तगाल की अदालतों को आश्वासन दिया था कि उसे मृत्युदंड या 25 साल से अधिक की जेल की सजा नहीं मिलेगी.

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