नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शीर्ष अदालत और हाईकोर्ट में वकीलों को वरिष्ठ वकील के रूप में नामित करने की प्रथा की पुष्टि करते हुए कहा कि इस प्रथा को अनुचित नहीं माना जा सकता है. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने सात अन्य अधिवक्ताओं के साथ वकील मैथ्यूज जे नेदुम्परा द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए याचिका को दुर्भाग्यपूर्ण और याचिकाकर्ताओं द्वारा चलाए जा रहे अपमानजनक अभियान (vilification campaign) का एक हिस्सा कहा.
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि वरिष्ठ पदनाम ने विशेष अधिकारों वाले अधिवक्ताओं का एक वर्ग तैयार किया है और यह पदनाम अक्सर न्यायाधीशों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, राजनेताओं और मंत्रियों के रिश्तेदारों को ही लाभ पहुंचाता है. पीठ में न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया भी शामिल थे. पीठ ने कहा कि संवैधानिक अदालतों में वरिष्ठों को नामित करने की प्रथा समझदार अंतर और योग्यता के मानकीकृत मैट्रिक्स पर आधारित है.