नई दिल्ली : कोविड संक्रमण की दूसरी लहर में मामलों में तेज वृद्धि के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को अपना ग्रीष्मावकाश एक सप्ताह पहले ही आठ मई से करने का फैसला किया.
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने पद ग्रहण करने के बाद अपने पहले कार्य दिवस पर उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन, उच्चतम न्यायालय एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन और बार काउन्सिल ऑफ इंडिया सहित विभिन्न बार संगठनों के साथ बैठक में कोविड से उत्पन्न स्थिति पर विचार किया.
उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्क्ष अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि इस आपात बैठक में निर्णय लिया गया कि अब शीर्ष अदालत का ग्रीष्मावकाश 14 मई की बजाय आठ मई से शुरू होगा और 27 जून तक चलेगा.
उन्होंने कहा कि प्रधान न्यायाधीश ने उच्चतम न्यायालय की नई चैंबर इमारत में कोविड देखभाल केंद्र बनाने को सिद्धांत रूप से मंजूरी दी.
सिंह ने कहा, 'एससीबीए की कार्यकारी परिषद ने दिल्ली सरकार से संपर्क किया है कि इस स्थान का निरीक्षण करके इसकी व्यावहार्यता के बारे में अपनी रिपोर्ट दे. उन्होंने कहा कि चाणक्यपुरी के तहसीलदार को पहले ही इस इमारत का निरीक्षण करने के लिए बंदोबस्त करने का अनुरोध किया गया है.
इस बीच, उच्चतम न्यायालय एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन के सचिव जोसेफ अरिस्टाटल ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश कम से कम 60 बिस्तरों वाली मेडिकल सुविधा और आरटी-पीसीआर जांच और टीकाकरण जैसी सुविधाओं के लिये उचित स्थान उपलब्ध कराने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गए हैं.
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उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन और उच्चतम न्यायालय एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन ने कोविड संक्रमण की गंभीर स्थिति को देखते हुये प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना से शीर्ष अदालत का ग्रीष्मावकाश पहले शुरू करने का अनुरोध किया था.