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तिरुचिरापल्ली RPF ने सॉफ्टवेयर के सुपर सेलर को किया गिरफ्तार

तमिलनाडु आरपीएफ (Tamil Nadu RPF) की टीम के पास सॉफ्टवेयर के माध्यम से आईआरसीटीसी (IRCTC) से तत्काल टिकटों को बायपास के जरिए बुक करने की शिकायतें सामने आ रही थी, जिसके बाद टीम ने एक आरोपी को दानापुर, बिहार से गिरफ्तार किया है.

सॉफ्टवेयर का सुपर सेलर
सॉफ्टवेयर का सुपर सेलर

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Published : Sep 25, 2022, 3:20 PM IST

चेन्नई: तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई आरपीएफ (Tamil Nadu RPF) के सामने आईआरसीटीसी (IRCTC) से तत्काल टिकटों की बुकिंग को लेकर शिकायतें सामने आईं थीं, जिसमें कुछ सॉफ्टवेयर (Software) के माध्यम से तत्काल टिकटों (tatkal ticket) को बिना किसी सेक्योरिटी क्लियरेंस और ओटीपी के बुक किया जा रहा था. पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया और उनसे पूछताछ के बाद दलाली के मामलों के तहत पंजीकृत, पीसी/वीएम और तिरुचिरापल्ली डिवीजन के अन्य एसओ/कर्मचारियों से मिलकर एसआरडीएससी/टीपीजे की देखरेख में एक विशेष टीम का गठन किया गया था.

टीम ने साइबर पेट्रोलिंग के दौरान पाया गया कि आरोपी ने 'tatkalsoftwareall.in' वेबसाइट से शार्प तत्काल सॉफ्टवेयर खरीदा है. जांच करने पर पता चला कि यह वेबसाइट 'hostinger.com' द्वारा होस्ट की जाती है और डोमेन 'godaddy.com' द्वारा प्रदान किया गया है. इसके बाद विशेष टीम ने उक्त शार्प सॉफ्टवेयर को ऑनलाइन खरीदा. मनी ट्रेल, बैंक ट्रांजैक्शन, ईमेल आईडी, आईपी एड्रेस आदि की जांच करने पर पुसिल ने सॉफ्टवेयर के सुपर सेलर का पता लगा लिया, जिसकी पहचान शैलेश यादव (27) पुत्र जगमोहन राय निवासी दानापुर, बिहार के तौर पर हुई. तिरुवन्नामलाई आरपीएफ की टीम ने बीती 21 सितंबर को शैलेश यादव को उसके घर से गिरफ्तार (Tamil Nadu RPF Arrested Super Seller) कर लिया.

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आरोपी से पूछताछ में पता चला कि उसने अंतरराष्ट्रीय वर्चुअल नंबर के जरिए अवैध सॉफ्टवेयर खरीदा था. वह शार्प, नेक्सेस, बीएमएक्स प्लस, एलीट, ब्लैक टाइगर, टेस्ला, कोविड वी2, कोरोना, ऑल इंटरफेस और रेड टर्बो जैसे अवैध सॉफ़्टवेयर्स का सुपर सेलर था. इन सॉफ्टवेयर्स का इस्तेमाल आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर सुरक्षा मंजूरी को दरकिनार कर सेकंडों के भीतर अवैध रूप से तत्काल टिकट बुक करने के लिए किया जा रहा था और सॉफ्टवेयर में अवैध सॉफ्टवेयर दलालों का उपयोग कर यात्री, यात्रा, ट्रेन और यात्रा विवरण पहले से भर रहे हैं.

यह सॉफ्टवेयर पूरी तरह से स्वचालित हैं और कैप्चा की तरह न केवल सुरक्षा मंजूरी बल्कि आईआरसीटीसी वेबसाइट पर ओटीपी जमा करने की प्रक्रिया को भी बायपास कर देते हैं. सॉफ्टवेयर ऑनलाइन माध्यम से 2,000 रुपये से 3,500 रुपये के बीच कहीं भी बेचा जा रहा था. यह वेबसाइट पिछले 18 महीनों से अवैध सॉफ्टवेयर बेचने के मामले में भारत में सबसे ऊपर है. सॉफ्टवेयरों को बेचकर उसे 9 महीनों में 98,20,946/- रुपये मिले, जिसके लिए उसके पास सॉफ्टवेयर्स को बेचकर 2,72,800/- रुपये प्रति माह की कमाई का लगभग 25% हिस्सा है.

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