नई दिल्ली :भारत के असम में ब्रह्मपुत्र नदी के रूप में बहने वाली यारलुंग त्संग्पो नदी में हुआ भूस्खलन लगभग 100 मिलियन टन बर्फ को विस्थापित करने वाला हो सकता है. भूस्खलन को ट्रैक करने वाले कई वैश्विक विशेषज्ञ यह निष्कर्ष निकाल चुके हैं.
उपग्रह इमेजरी का उपयोग करते हुए कई विशेषज्ञों ने दुनिया के भौगोलिक रूप से सबसे गतिशील स्थानों में से एक में होने वाली घटना पर सहमति व्यक्त की है. आमतौर पर भूकंप के बाद बड़ा भूस्खलन 2017 और 2018 में त्संगपो पर एक ही क्षेत्र में हुए हैं.
भूस्खलन का पता सबसे पहले उत्तरी ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मार्टन गेयर्टेमा ने लगाया था और बाद में इसकी पुष्टि कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गोरान एकस्ट्रॉम, कैलगरी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डैन शुगर और शेफील्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डेव पेटली ने की.
माना जाता है कि यह घटना 13-28 मार्च 2021 के बीच कभी भी हुई थी और उपग्रह चित्र कुछ छोटे लटकते ग्लेशियरों और संभावित रॉक मटीरियल की प्रबल संभावना को दर्शाते हैं. जो कि 6,900 मीटर से 2,700 मीटर के बीच करीब 3,900 मीटर की दूरी पर यारलुंग त्संगपो घाटी के नीचे गिर गया.
जबकि बाद की तस्वीरों ने संकेत दिया कि मलबे के लगभग 4 किमी ऊर्ध्वाधर गिरने के बाद कोई रुकावट उत्पन्न नहीं हुई. हालांकि नदी के पानी ने अत्यधिक मैलापन का संकेत मिला. भारतीय दृष्टिकोण से भूस्खलन बहुत महत्वपूर्ण है कि चीन उसी क्षेत्र में मेगा बांध बनाने की योजना बना रहा है जो जबरदस्त भूकंपीय अस्थिरता का क्षेत्र है. बांध टूटने की स्थिति में विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश और असम में बड़े पैमाने पर निचले प्रवाह को नुकसान होगा.