जयपुर. राजस्थान में एक बहन ऐसी भी है जो कारगिल युद्ध में शहीद हुए अपने भाई कैप्टन अमित भारद्वाज की याद में उनकी पूरी यूनिट को पिछले 24 सालों से राखी भेजती आ रही हैं. 1999 में जो सिलसिला शुरू हुआ, वो आज भी बदस्तूर जारी है. यही वजह है कि आज शहीद अमित भारद्वाज की यूनिट का हर एक जवान बहन सुनीता धौंकरिया का भाई है.
आज रक्षाबंधन के मौके पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधेंगी. लेकिन जयपुर में एक बहन ऐसी है जिनका इकलौता भाई देश की खातिर शहीद हो गया. हम बात कर रहे है महज 27 साल की उम्र में कारगिल युद्ध में शहीद हुए जयपुर के कैप्टन अमित भारद्वाज और उनकी बहन सुनीता की. दरअसल, कैप्टन अमित भारद्वाज की बहन अपने भाई को रक्षाबंधन के अवसर पर राखी भेजा करती थी. लेकिन कारगिल युद्ध में कैप्टन अमित भारद्वाज शहीद हो गए. बावजूद इसके सुनीता ने ये सिलसिला नहीं तोड़ा. बदस्तूर पिछले 24 सालों से वो शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज की यूनिट 4 जाट रेजिमेंट के हर एक जवान के लिए राखी भेजती हैं. साथ ही हर साल अपने शहीद भाई अमित भारद्वाज की तस्वीर पर भी राखी बांधती हैं.
रक्षा बंधन के मौके पर सुनीता ने नम आंखों से बताया कि अमित ने देश सेवा के लिए अपना बलिदान दिया. 17 मई 1999 को वो शहीद हुए थे. 15 जुलाई 1999 को जयपुर में उन्हें पंचतत्व में विलीन किया गया. इसके एक महीने बाद रक्षाबंधन का त्यौहार था. उससे पहले तक वो हर साल कैप्टन अमित भारद्वाज की यूनिट में राखी भेजा करती थी, तब सोचा कि ये सिलसिला टूटना नहीं चाहिए. उसी वक्त 100 राखियां 4 जाट रेजीमेंट यूनिट भेजी. तब से ये 25 वां रक्षाबंधन है, ये क्रम जारी है. इससे उन्हें अमित की उपस्थिति महसूस होती है.