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ओडिशा : तीनों रथों पर सोना वेश में भगवान ने दिये दर्शन

ओडिशा के पुरी में आज भगवान श्रीजगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा का 'सोना वेश' अनुष्ठान आयोजित हुआ. बगैर श्रद्धालुओं के आज तीनों भगवान का सोना वेश (Suna Besha) अनुष्ठान हुआ. हालांकि, इस अनुष्ठान के दौरान रथ और बड़दांड पर केवल सेवायत और सुरक्षाकर्मी ही केवल उपस्थित थे.

भगवान ने दिये दर्शन
भगवान ने दिये दर्शन

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Published : Jul 21, 2021, 7:37 PM IST

पुरी :ओडिशा के पुरी (Puri of Odisha) में बुधवार को भगवान श्रीजगन्नाथ (Lord Shri Jagannath), भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा का 'सोना वेश' अनुष्ठान आयोजित हुआ. इस वेश में तीनों भगवान को सोने के जेवरातों से सजाया जाता है. यह अनुष्ठान तीनों भगवान के बाहुड़ा यात्रा के एक दिन बाद होता है.

जानकारी के मुताबिक, पुरी में रथ यात्रा (Rath Yatra) के लिए लगा कर्फ्यू जारी है. बगैर श्रद्धालुओं के आज तीनों भगवान का सोना वेश (Suna Besha) अनुष्ठान हुआ. हालांकि, इस अनुष्ठान के दौरान रथ और बड़दांड पर केवल सेवायत और सुरक्षाकर्मी ही केवल उपस्थित थे.

स्वर्ण आभूषणों में सजे तीनों भगवान

पुरी एसपी कंवर विशाल सिंह (Puri SP Kanwar Vishal Singh) ने कहा कि हम सभी भक्तों से घर पर ही रहने का निवेदन कर रहे हैं. श्रद्धालु अपने मोबाइल या टीवी से सोना वेश में भगवान के दर्शन कर सकते हैं. उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था के बारे में कहा कि अनुष्ठान के सुचारू आयोजन को सुनिश्चित करने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था करायी है.

किंवदंती है कि 1460 में राजा कपिलेंद्र देव के शासनकाल के दौरान सोना वेश अनुष्ठान की शुरुआत हुई थी. जब राजा कपिलेंद्र देव दक्कन (दक्षिणी भारत) के शासकों पर युद्ध जीतने के बाद पुरी लौटे थे, तब वे अपने साथ 16 गाड़ियों में सोना और हीरे भरकर लाए थे.

सोने के जेवरातों को रथों तक ले जाते सेवायत

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उन्होंने श्रीमंदिर (Shri Mandir) में तीनों भगवान को ये सोना और हीरे अर्पित कर दिये और मंदिर के पुजारियों को उनसे गहने बनवाने का निर्देश दिया.

सोने के जेवरातों को रथों तक ले जाते सेवायत

भगवान के सोने के गहनों को भंडारगृह में रखा जाता है. इस खास अनुष्ठान के दौरान सशस्त्र पुलिसकर्मियों और मंदिर के अधिकारियों के साथ, भंडारा मेकप पुजारी (भंडार प्रभारी) अमूल्य पत्थरों से सजे सोने के आभूषण बाहर लेकर आते हैं और इसे पुष्पालक और दइतापति सेवायतों को सौंप देते हैं.

श्रीमंदिर के सूत्रों के अनुसार, इस अवसर पर तीनों भगवनों को लगभग 208 किलो (दो क्विंटल आठ किलोग्राम) वजन के सोने के आभूषण से सजाया जाता है.

भगवान के स्वर्ण वेश के साथ सेवायत

सेवायतों के अनुसार, कपिलेंद्र देव के काल में देवताओं को लगभग 138 डिजाइनों के सोने के आभूषणों से सजाया जाता था. उन्होंने कहा कि यह संख्या अब घटकर 20-30 रह गई है. लेकिन जेवरातों की डिजाइन आज भी वही है. उन्होंने कहा कि तीर्थयात्रियों द्वारा दान किए गए कच्चे सोने का उपयोग करसे आवश्यक पड़ने पर उनकी मरम्मत की जाती है.

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