हमीरपुर:हिमाचल प्रदेश में सीएम पद के लिए शिमला में जारी हंगामा के बीच सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) का बड़ा बयान सामने आया है. कांग्रेस नेता ने कहा कि वो सीएम बनने की रेस में नहीं हैं. सुखविंदर सिंह ने आगे कहा कि आलाकमान जो भी फैसला लेगी वो उन्हें स्वीकार होगा. वहीं, शुक्रवार को शिमला में हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भी कोई फैसला नहीं हो पाया. हिमाचल में मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस विधायकों में सहमित नहीं बनी. जिसके चलते सभी विधायकों ने गेंद हाईकमान के पाले में डाल दी है.
कांग्रेस प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला ने शुक्रवार देर रात कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक बहुत ही सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न हुई. बैठक में फैसला लिया गया कि हाईकमान जो भी फैसला लेगा, उसी पर अमल किया जाएगा. एक सिंगल लाइन एजेंडा इस बैठक में लाया गया, जिस का प्रस्ताव नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने रखा और प्रचार कमेटी के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसका समर्थन किया.
बता दें कि हिमाचल में सीएम पद के कई दावेदार हैं और वो भले ही ये बोल रहे हों कि जो आलाकमान तय करेगा वही होगा, लेकिन साथ ही वो अपनी दावेदारी का दावा भी ठोक रहे हैं. अब तक हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और प्रचार समिति अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू ही फ्रंट रनर थे, लेकिन अब मुकेश अग्निहोत्री, राजेंद्र राणा और धनीराम शांडिल का नाम भी रेस में चर रहा हैं. हिमाचल में कांग्रेस गुटों में बंट गई है. बैठकों का दौर जारी है, इसके लिए कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला, ऑब्जर्वर भूपेश बघेल और भूपेंद्र हुड्डा तिकड़म भिड़ाए हुए हैं. उधर, विवाद की आशंका के चलते प्रियंका गांधी ने पहले ही दावेदारों की लिस्ट मंगा ली है.
काफी रोचक है सुक्खू का सियासी सफर:क्लास के सीआर से लेकर मुख्यमंत्री के पद की रेस तक कांग्रेसी दिग्गज सुखविंदर सिंह सुक्खू का राजनीतिक सफर बेहद रोचक रहा है. नगर निगम शिमला से बतौर पार्षद चुनावी राजनीति की शुरुआत करने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में चल रहे हैं. नादौन से कांग्रेसी विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से स्नातकोत्तर और एलएलबी की पढ़ाई की है.(Sukhwinder Singh in Himachal CM race)
एनएसयूआई से राजनीति की शुरुआत:सुखविंदर सिंह सुक्खू का जन्म 26 मार्च 1964 को पिता का नाम रसील सिंह के घर में हुआ. उनकी पत्नी का नाम कमलेश ठाकुर है और उनकी दो बेटियां हैं. एनएसयूआई से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और संजोली कॉलेज में पहले कक्षा के सीआर और एससीए के महासचिव चुने गए. उसके बाद राजकीय महाविद्यालय संजौली में एससीए के अध्यक्ष चुने गए. (himachal assembly elections 2022)
1988 से 1995 तक एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष:1988 से 1995 तक एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष बने. 1995 में युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव बने. 1998 से 2008 तक युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे और इस दौरान दो दफा विधानसभा चुनाव भी लड़ा हालांकि, इससे पहले नगर निगम शिमला के दो बार चुने हुए पार्षद बने. 2003, 2007 और 2017 में नादौन विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने.(Sukhwinder Singh started politics from NSUI)
2008 में प्रदेश कांग्रेस के महासचिव बने:2008 में प्रदेश कांग्रेस के महासचिव बने और 8 जनवरी 2013 से 10 जनवरी 2019 तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. अप्रैल 2022 में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष एवं टिकट वितरण कमेटी के सदस्य बने. वर्तमान में सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल में कांग्रेस के बड़े नेताओं की सूची में सबसे आगे शुमार हैं. विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जीत हासिल करने के बाद वह मुख्यमंत्री की दौड़ में हैं.
2012 में हुई थी हार:सुखविंदर सिंह सुक्खू ने साल 2003 में पहली दफा विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इस बार लगातार पांचवीं बार उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और चौथी बार यहां से विधायक चुने गए. भाजपा के प्रत्याशी विजय अग्रिहोत्री भाजपा को इस बार 32779 मत प्राप्त हुए ,जबकि जीत हासिल करते हुए सुखविंद्र ने 36142 वोट हासिल किए. 3363 मतों के अंतर के साथ उन्होंने अपने करियर की यह दूसरी बड़ी जीत हासिल की, इससे पहले 2007 में उन्होंने 4585 जीत हासिल की थी.
नारायण चंद पराशर के बाद सुक्खू का रहा है दबदबा:साल 1998 तक इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नारायण चंद पराशर ने चुनाव लड़ा ,लेकिन उनके बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू का ही इस सीट पर बोलबाला देखने को मिला. साल 1998 के बाद हुए चार चुनावों में से तीन में सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जीत हासिल की, जबकि एक दफा भाजपा प्रत्याशी विजय अग्निहोत्री ने यहां पर चुनावी रण को फतह किया.साल 1998 में भाजपा के प्रत्याशी बाबूराम मंडयाल ने 16917 वोट हासिल कर 580 मत के अंतर से जीत हासिल की थी ,जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी नारायण चंद पराशर को 16337 मत प्राप्त हुए थे.
2003 में सुखविंदर सिंह सुक्खू 4585 मतों से जीते:साल 2003 में कांग्रेस के प्रत्याशी सुखविंदर सिंह सुक्खु ने 14379 मत लेकर यहां पर 4585 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. आजाद प्रत्याशी प्रभात चंद ने इस चुनाव में 9794 मत हासिल किए थे ,जबकि भाजपा के प्रत्याशी बाबू राम मंडयाल 8657 मतों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे. आजाद प्रत्याशी रघुवीर सिंह ने इस चुनाव 8313 मत लेकर चौथा स्थान हासिल किया था.
586 वोटों से जीत हासिल की:साल 2007 में कांग्रेसी प्रत्याशी सुखविंदर सिंह सुक्खु ने 17727 मत लेकर जीत हासिल की थी. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी विजय अग्निहोत्री को 17141 मत प्राप्त हुए थे. बीएसपी के प्रत्याशी प्रभात चौधरी ने 10401 मत हासिल किए. महज 586 के अंतर से सुक्खू ने इस चुनाव में जीत हासिल की. 6 प्रत्याशी इस चुनाव में थे. कुल 45985 मत पोल हुए थे. कुल 65391 मतदाता थे.
सीधे मुकाबले में जीत गए थे विजय अग्निहोत्री:साल 2012 में भाजपा प्रत्याशी विजय अग्निहोत्री ने 31305 मत लेकर 6750 मत के अंतर के साथ जीत हासिल की थी. कांग्रेस प्रत्याशी सुक्खू को 24555 मत प्राप्त हुए थे. एचएलपी पार्टी के प्रत्याशी बाबू राम मंडयाल को इस चुनाव में 1090 मत प्राप्त हुए थे.
2017 में जीत का अंतर महज 2349:साल 2017 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 30980 मत लेकर 2349 के अंतर के साथ जीत हासिल की थी. यहां पर भाजपा प्रत्याशी विजय अग्निहोत्री को कुल 28631 मत प्राप्त हुए थे. आजाद प्रत्याशी लेखराज लेखा ने इस चुनाव 1875 मत लेकर हार जीत के फासले में अहम भूमिका निभाई थी.
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