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बादल ने तोमर से किसानों के साथ बिना शर्त वार्ता करने का आह्वान किया

तीन कृषि कानूनों को लेकर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से किसानों से बिना शर्त वार्ता करने की अपील की.

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Published : Jun 9, 2021, 11:03 PM IST

चंडीगढ़ : शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने बुधवार को केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से केन्द्र के कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों से बिना शर्त वार्ता करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि किसानों की मांगों को खारिज कर उनके घावों पर 'नमक छिड़कने' के बजाय कृषि मंत्री को उनसे बिना शर्त बातचीत करनी चाहिए.

तोमर ने ग्वालियर में पत्रकारों से कहा था कि केन्द्र कृषि कानूनों को निरस्त करने के अलावा अन्य विकल्पों पर किसानों से बातचीत के लिए तैयार है. इस बयान के एक दिन बाद पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री की यह टिप्पणी सामने आई है.

किसान केन्द्र के कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर पिछले साल नवम्बर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं.

बादल ने कहा कि आंदोलनकारी किसान तीन कानूनों को निरस्त करने के अलावा अन्य मुद्दों पर बातचीत नहीं कर सकते. उन्होंने कहा, 'यह केंद्र को पहले ही स्पष्ट कर दिया गया है. किसानों ने उन सभी प्रस्तावों को खारिज कर दिया है जिनका उद्देश्य कृषि कानूनों को निरस्त करने की मुख्य मांग को स्वीकार किए बिना किसान आंदोलन को अस्थिर करना है.'

उन्होंने यहां एक बयान में कहा, 'मैं नरेंद्र तोमर से अपील करता हूं कि वे आंदोलनकारी किसानों के साथ बिना शर्त बातचीत करें और किसान समुदाय के हित में उनकी मांगों को स्वीकार करें.' उन्होंने कहा कि केंद्र को कानूनों को निरस्त करने की उनकी मांग को सिरे से खारिज कर किसानों के जख्मों पर ‘नमक छिड़कने' के बजाय उनसे बातचीत करनी चाहिए.

पढ़ें :-सरकार बातचीत को तैयार, किसान संघ बताएं कृषि कानूनों में कहां है आपत्ति : कृषि मंत्री

बादल ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसान नेताओं के साथ कई दौर की बातचीत के बावजूद केंद्र को कृषि कानूनों की खामियों का एहसास नहीं है. उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार कॉर्पोरेट क्षेत्र के हिसाब से चलने पर अडिग है जो न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को समाप्त करना चाहता है. संकट के समाधान के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की वार्ता की अपील ठुकराने का और कोई कारण नहीं हो सकता.'

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