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समिति ने दिया वाहन और बीमा प्रीमियम का भुगतान अलग-अलग करने का सुझाव - बीमा प्रीमियम का भुगतान

नया वाहन खरीदने वालों को वाहन की लागत और बीमा प्रीमियम का भुगतान अलग-अलग चेक के जरिए करना पड़ सकता है. इरडा की एक समिति ने ऐसा करने का सुझाव दिया है. समिति का कहना है कि ऐसा करना पॉलिसीधारक के हित में है.

बीमा प्रीमियम
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Published : Jan 24, 2021, 8:11 PM IST

नई दिल्ली : नया वाहन खरीदने वालों को वाहन की लागत और बीमा प्रीमियम का भुगतान अलग-अलग चेक के जरिए करना पड़ सकता है. बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) की एक समिति ने मोटर बीमा सेवा प्रदाता (एमआईएसपी) से जुड़े दिशानिर्देशों की समीक्षा के दौरान यह सुझाव दिया है.

इरडा ने प्रक्रिया को तर्कसंगत करने की मंशा से 2017 में एमआईएसपी दिशानिर्देश जारी किए थे. साथ ही इसका मकसद वाहन डीलरों द्वारा बेचे जाने वाले वाहन बीमा को बीमा कानून-1938 के प्रावधानों के तहत लाना था.

बीमा कंपनी या बीमा मध्यवर्ती इकाई द्वारा नियुक्त वाहन डीलर को एमआईएसपी कहा जाता है. जो बेचे जाने वालों वाहनों के लिए बीमा सेवा भी उपलब्ध कराता है.

2019 में समिति गठित की थी

नियामक ने 2019 में एमआईएसपी दिशानिर्देशों की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की थी. समिति ने एमआईएसपी के जरिए मोटर बीमा कारोबार के व्यवस्थित तरीके से परिचालन के लिए अपनी रिपोर्ट में कई सिफारिशें की हैं. समिति ने अन्य मुद्दों के अलावा मोटर वाहन बीमा पॉलिसी करते समय ग्राहकों से प्रीमियम भुगतान लेने के मौजूदा व्यवहार की भी समीक्षा की.

मौजूदा प्रणाली में पारदर्शिता का अभाव

समिति ने कहा कि मौजूदा प्रणाली में ग्राहक द्वारा वाहन डीलर से पहली बार वाहन खरीदने पर बीमा प्रीमियम के भुगतान की लागत को लेकर पारदर्शिता का अभाव है. इसमें ग्राहक द्वारा एक ही चेक से भुगतान किया जाता है. एमआईएसपी अपने खातों से बीमा कंपनी को भुगतान करते हैं, ऐसे में ग्राहक यह नहीं जान पाता कि उसके द्वारा दिया गया बीमा प्रीमियम कितना है, क्योंकि यह वाहन की लागत में ही समाहित होता है.

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समिति ने कहा है कि पारदर्शिता की कमी पॉलिसीधारक के हित में नहीं है, क्योंकि ग्राहक बीमा की सही लागत नहीं जान पाता. साथ ही ग्राहक को कवरेज के विकल्प और रियायत आदि की भी जानकारी नहीं मिल पाती.

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