लखनऊ :बहराइच में शादी के बाद पहली ही रात दुल्हा-दुल्हन की मौत हो गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दोनों की मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया गया. यह घटना अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई. आमतौर पर युवा शादी के बाद फिजिकल रिलेशनशिप को लेकर तनाव में रहते हैं. जल्दबाजी और बिना चिकित्सक की सलाह के दवाओं का सेवन कर लेते हैं. इससे रक्तचाप बढ़ने के साथ दिल का दौरा पड़ने का खतरा भी बढ़ जाता है. मौजूदा समय में युवाओं में हार्ट अटैक के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में चिकित्सक कुछ सावधानियां बरतने के साथ स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की सलाह दे रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने इस मामले को लेकर चिकित्सकों से खास बातचीत की.
केजीएमयू के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अक्षय प्रधान का कहना है कि बहराइच का मामला सच में चौंकाने वाला है. ऐसा केस कभी नहीं आया जिसमें पति-पत्नी दोनों को एक साथ हार्ट अटैक आया हो. दरअसल कई बार लोग ऐसी दवाओं का सेवन कर लेते हैं जो रक्तचाप को बढ़ा देता है. ये दवाएं हार्टअटैक का कारण भी बन सकती हैं. वहीं केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एसएन संखवार ने कहा कि शहरों में जगह-जगह इस तरह की क्लीनिक से संबंधित पोस्टर-बैनर लगे रहते हैं. ऑनलाइन भी मोबाइल पर तमाम तरह के विज्ञापन सामने आते हैं. इन दवाओं के जरिए स्टेमिना बढ़ाने का दावा किया जाता है.
विज्ञापन देखकर भ्रम न पालें :डॉ. एसएन संखवार ने बताया कि विज्ञापनों के देखकर लोग सोच लेते हैं कि इससे उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा, हकीकत इससे कुछ अलग ही होती है. सही मायने में तो इस तरह की क्लीनिक पर रोक लगाने के लिए कदम उठाना चाहिए. ऐसी क्लीनिकों से लोग दवाएं लेकर बगैर किसी स्पेशलिस्ट डॉक्टर के परामर्श के उनका सेवन कर लेते हैं. बहुत सारे लोग नीम-हकीम पर विश्वास कर लेते हैं. कहीं न कहीं लोगों में जागरूकता की भी कमी है. ऐसी बहुत सारी क्लीनिक स्वास्थ्य विभाग से पंजीकृत नहीं होती हैं.
ठंड के मौसम में बढ़ जाते हैं केस :वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अक्षय प्रधान ने बताया कि अगर आसान भाषा में हम समझें तो जब हृदय में रक्त का बहाव नहीं होता है. अचानक से क्लॉटिंग हो जाती हैं. उस दौरान हार्ट अटैक आता है. ठंड के मौसम में हार्ट अटैक के केस बढ़ जाते हैं. इस समय हम देख रहे हैं कि ज्यादातर युवा इसके शिकार हो रहे हैं, क्योंकि हमारा रहन-सहन काफी बदल चुका है. व्यक्ति के शरीर में कौन सा सेल्स या कौन सा ऑर्गन कब काम करना बंद कर दें इसके बारे में किसी को मालूम नहीं होता है. इसके लिए एहतियात बरतना और जागरूक होना काफी जरूरी है. कोरोना वायरस इन्फ्लेमेटरी डिजीज है. इसकी वजह से पूरे शरीर की धमनियों में इन्फ्लेमेशन (सूजन)होता है. लंग्स में भी इन्फ्लेमेशन होता है. हमें सांस फूलने के बारे में पता चलता है इसके बाद खांसी आने पर हम टेस्ट कराते हैं. जो लोग कोविड वैक्सीन लगवा रहे हैं उनके भी ब्लड क्लॉट हो रहे हैं, वहीं जो लोग नहीं लगवा रहे हैं, जिन्होंने वैक्सीन लगवाई ही नहीं है, उनका भी ब्लड क्लॉट हो रहा है. उन्हें हार्ट अटैक आ रहा है. कोविड वैक्सीन का हार्ट अटैक से कोई लेना देना नहीं है.
हार्ट की पंपिंग पावर हो जाती है कम :डॉ. प्रधान ने बताया कि लंग्स पर जो वायरस असर करता है, मुख्य तौर पर वह धीरे-धीरे हार्ट, किडनी और ब्रेन पर असर करता है. काफी सारे लोगों में इस दौरान हार्टअटैक भी देखे गए. इसके अलावा अब लोगों पर इसका रिएक्शन देखने को मिल रहा है. दिल की धमनियों में भी इन्फ्लेमेशन हो जाता है, खासकर से वह लोग जिनको पहले कोरोना हो चुका है. वह ठीक हो गए हैं, उन्हें अधिक सचेत रहने की जरूरत है. खास तौर से यह लोग वह हैं जो लोग स्मोकिंग करते हैं, एक्सरसाइज नहीं करते हैं, अपनी डाइट में जंक फूड का सेवन अधिक करते हैं. अगर हार्ट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं तो हार्ट की पंपिंग पावर जो कि 60 से 70 प्रतिशत होती है वह किसी भी वायरल इंफेक्शन में कम हो जाती है. धीरे-धीरे करके उसमें सुधार भी आ जाता है, लेकिन वहीं दूसरा जो धमनी वाली दिक्कत होती है उससे फिर बीमारी एक बार आती है तो वह धीरे-धीरे करके आगे बढ़ती है. अगर आप के शरीर से रिस्क फैक्टर जुड़ते जाएंगे तो यह बढ़ता ही जाएगा.