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83 साल की महिला के चेहरे की हड्डी में था ट्यूमर, डाॅक्टरों ने ऑपरेशन कर दिया नया जीवनदान

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) गोरखपुर के दंत शल्य विभाग की टीम ने 83 वर्षीय बुजुर्ग महिला के चेहरे की हड्डी का ट्यूमर का ऑपरेशन कर निकाला है.

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Published : May 16, 2023, 6:58 AM IST

गोरखपुर : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) गोरखपुर के दंत शल्य विभाग ने महाराजगंज निवासी वृद्ध महिला का ऑपरेशन कर नयी ज़िंदगी दी. 83 वर्षीय सरोज जो पिछले कई वर्षों से चेहरे की हड्डी के ट्यूमर से ग्रसित थी. बुजुर्ग महिला ऑपरेशन की जटिलता और बहुत महंगे इलाज के कारण बहुत सारे डॉक्टरों और अस्पतालों में दिखाने के बाद जब समस्या का निदान नहीं हुआ तब एम्स में इलाज कराने पहुंची. इस मरीज को एम्स के दंत शल्य विभाग के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर एवं मैक्सिलोफ़ेशियल सर्जन डा शैलेश कुमार ने देखा.

एम्स के मीडिया प्रभारी पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि 'मरीज़ की जांच के बाद ये पता चला कि उसका मुंह एक ख़तरनाक किस्म के चेहरे के ट्यूमर की समस्या से ग्रसित है. जिसकी वजह से चेहरे के निचले जबड़े की हड्डी पूरी तरह से खोखली हो चुकी थी. कुछ परिस्थितियों मे ये ट्यूमर कैंसर मे भी तब्दील हो सकता है. उन्होंने बताया कि करीब चार घंटे चले ऑपरेशन में मरीज़ की गली हुई निचले जबड़े की हड्डी को निकाला गया. इसके बाद कृत्रिम रुप से जबड़े को दोबारा बनाया गया. मरीज़ की बेहोशी जांच इस विभाग की डॉ प्रियंका और उनकी टीम ने किया. मैक्सिलोफ़ेशियल सर्जन डा शैलेश ने बताया कि ऐसे ज़्यादा उम्र के मरीज़ों की बेहोशी की प्रक्रिया बहुत ही जटिल होती है, जिसके लिए विशेष उपकरण और बहुत तैयारी की ज़रूरत होती है. मरीज़ की सर्जरी पूर्ण बेहोशी में दंत रोग विभाग के सर्जन डा शैलेश ने की. चार घंटे चली सर्जरी पूरी तरह से सफल रही.'


उन्होंने बताया कि 'एम्स की कार्यकारी निदेशिक डॉ सुरेखा किशोर ने डा शैलेश कुमार और उनकी टीम को इस सफल ऑपरेशन की बधाई दी. निदेशिक द्वारा नियमित रूप से मरीज़ के स्वास्थ्य की जानकारी ली गई. उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में सीनियर रेजीडेंट डा अनुराधा एवं एनेस्थीसिया विभाग के सीनियर रेजीडेंट भी योगदान दिया. एम्स गोरखपुर में इतनी ज़्यादा उम्र के मरीज की इस तरह का पहला ऑपरेशन है. अभी तक ऐसे मरीज़ों को ऑपरेशन के लिए दिल्ली या लखनऊ जाना पड़ता था. सही समय पर पता लगाने एवं सही डॉक्टर से इलाज कराने से ऑपरेशन की जटिलता को कम किया जा सकता है.'

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