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सौर ऊर्जा में भारत ने किस तरह गाड़े सफलता के झंडे, जानें

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की प्रगति चौंकाने वाली रही है. भारत पूरी दुनिया में सबसे सस्ती दर पर सौर बिजली का उत्पादन करता है. कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और गुजरात प्रमुख राज्य हैं, जिसने उल्लेखनीय प्रगति की है. आइए विस्तार से जानते हैं सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने किस तरह उपलब्धियां हासिल की हैं.

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Published : Jan 10, 2021, 4:05 PM IST

सौर ऊर्जा
सौर ऊर्जा

हैदराबाद: भारत सरकार ने 2022 तक 100 गीगावाट सोलर एनर्जी की क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा है.

साल कितनी क्षमता जोड़ी गई (MW) कुल क्षमता (MW)
2016-17 5525.98 MW 12288.83 MW
2017-18 9362.67 MW 21651.46 MW
2018-19 6529.20 MW 28180.66 MW
2019-20 6884.68MW 35065.34 MW (as on 29.2.2020)

सरकार ने कौन-कौन से कदम उठाए

  • दिसंबर 2022 तक 100 गीगावाट सोलर एनर्जी क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य तय किया.
  • दिसंबर 2022 तक चालू होने वाली सौर ऊर्जा परियोजनाओं और पवन ऊर्जा की अंतर राज्य बिक्री शुल्क में छूट और नुकसान की भरपाई का ऐलान.
  • ऑटोमेटिक रूट के तहत सौ फीसदी एफडीआई.
  • टेंडर जारी करने के लिए मानक दिशा निर्देशों की अधिसूचना.
  • वर्ष 2022 तक नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ) की घोषणा.
  • -बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के लिए ग्रिड इंटरैक्शन की सुविधा पर जोर. ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर परियोजना का कार्यान्वयन.
  • सौर फोटोवोल्टिक प्रणाली / उपकरणों की तैनाती के लिए गुणवत्ता मानकों की अधिसूचना.
  • प्रधान मंत्री किसान उर्जा सुरक्षा उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) शुरू.
  • 12000 मेगावाट की सीपीएसयू योजना (द्वितीय चरण) और सोलर रूफटॉप (द्वितीय चरण) कार्यक्रम का शुभारंभ.

राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत शुरू की गई योजनाओं का ब्योरा

  • 50 से अधिक सोलर पार्क और अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाओं (क्षमता-40 हजार मेगावाट) के लिए सोलर पार्क स्कीम.
  • केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सपीएसयू) और भारत सरकार के संगठनों के साथ ग्रिड-कनेक्टेड सोलर पीवी पावर प्रोजेक्ट्स स्थापित करने की योजना. व्यवहार्यता गैप फंडिंग का विशेष ध्यान.
  • ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफटॉप पावर प्लांट्स की स्थापना.
  • ऑफ-ग्रिड सौर पीवी योजना.
  • किसानों की मदद के लिए पीएम-कुसुम योजना. सिंचाई में सोलर पंप के प्रयोग पर जोर.
  • वीजीएफ के तहत 5000 मेगावाट ग्रिड कनेक्टेड सोलर पीवी पावर परियोजनाओं की स्थापना. इनमें पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 1000 मेगावाट का लक्ष्य रखा गया है.

भारत में निवेश

  • डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड के मुताबिक भारतीय गैर-पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र में 2014 के बाद से 42 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ है.
  • सनसोर्स एनर्जी अंडमान एवं निकोबार में 4 मेगावाट ग्रिड विकसित कर रहा है.
  • एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने एनटीपीसी के साथ सोलर पावर सिस्टम विकसित करने का किया करार.
  • अरुणाचल प्रदेश में सुबनसिरि लोअर हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में पटेल इंजीनियरिंग का निवेश.
  • कोविड संकट के दौरान भी भारत ने 2320 मेगावाट क्षमता विकिसत किया.
  • गुजरात के ढोलेरा सोलर पार्क के लिए टाटा 100 मेगावाट क्षमता विकसित कर रहा है.
  • नीति आयोग से अनुमति मिलने के बाद एनटीपीसी ने एनटीपीसी नवीकरणीय ऊर्जा लि. कंपनी बनाई.
  • 2032 तक इसने 39 गीगा वाट क्षमता बनाने का लक्ष्य रखा.
  • सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने 47 पार्क विकसित करने के लिए प्रक्रियाएं पूरी की. इसकी कुल क्षमता 25 गीगा वाट होगी.
  • एनटीपीसी ने विक्रम सोलर को 300 मेगावाट सोलर प्लांट विकसित करने के लिए टेंडर दिया.
  • 2030 तक अदानी समूह ने दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पावर कंपनी बनने का लक्ष्य निर्धारित किया है.
  • यूपी में रेन्यू पावर और शपूर्जी पलोंजी 750 करोड़ का निवेश करेगी. 150 मेगावाट सौर क्षमता विकसित करने का लक्ष्य.
  • राजस्थान में भदला सोलर पार्क स्थापित. यह दुनिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट है. इसकी क्षमता 2255 मेगावाट है.

सोलर एनर्जी के क्षेत्र में भारत के शीर्ष पांच राज्य
2010 में राष्ट्रीय सौर मिशन की शुरुआत हुई थी. तब हमारे पास 17 मेगावाट की क्षमता थी. अभी भारत के पास 30 हजार मेगावाट की क्षमता है. हमने अपना लक्ष्य 20 हजार मेगावाट रखा था, लेकिन हमने लक्ष्य से अधिक क्षमता विकसित की.

कर्नाटक - 7100 मेगावाट
सबसे बड़ा पार्क तुमकुरु में पावगाडा सोलर पार्क है. यह 13 हजार एकड़ में फैला है. इसकी उत्पादन क्षमता 2050 मेगावाट है. बीदर, कोप्पल और गडाग में तीन अन्य पार्क विकसित किए जा रहे हैं.

तेलंगाना - 5000 मेगावाट
तेलंगाना ने इसे एक जगह विकसित करने के बजाए 180 अलग-अलग केंद्रों पर विकास किया.

राजस्थान - 4400 मेगावाट
जोधपुर में भदला सोलर पार्क.

आंध्रप्रदेश - 3470 मेगावाट
क्लीन एनर्जी के मामले में आंध्र का दूसरा स्थान है. कुर्नूल और कडप्पा में सोलर पार्क.

गुजरात - 2654 मेगावाट
घरेलू रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन के मामले में गुजरात पहले नंबर पर है. सबसे बड़ा केंद्र पाटन में चरंका सोलर पार्क है.

कुछ प्रमुख तथ्य
सोलर इनवर्टर सप्लायर- सनग्रो सेंट्रल इनवर्टर सप्लायर है. हुआवेई स्ट्रिंग इनवर्टर सप्लायर है. एफआईएमईआर सबसे बड़ा सोलर इनवर्टर सप्लायर है. एलओएनजी सबसे बड़ा मॉड्यूल स्पलायर है. ट्रीना सोलर की इसमें बड़ी भूमिका है. चीन, थाइलैंड और वियतनाम से आयात होने वाले मॉड्यूल पर सेफगार्ड ड्यूटी लगाई जाती है.

चीन और अमेरिका के बाद भारत
मर्कॉम कम्युनिकेशन्स इंडिया रिपोर्ट 2019 के मुताबिक चीन और अमेरिका के बाद भारत सोलर मार्क के क्षेत्र में तीसरे स्थान पर है. 2018 तक कुल उत्पादन क्षमता 28 गीगा वाट है. एनर्जी इकोनोमी के क्षेत्र में भारत का पांचवां स्थान है. अमेरिका, ब्राजील और भारत इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा निवेश कर रहे हैं.

सौर ऊर्जा पर लागत
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी 2019 की रिपोर्ट के आधार पर.

चीन, ब्रिटेन, अमेरिका और फ्रांस की तुलना में भारत में सौर ऊर्जा की लागत सबसे कम है. एक किलो वाट बिजली उत्पादन के लिए औसत लागत 1210 डॉलर है. लेकिन भारत 793 डॉलर में ही इसे पूरा करता है. चीन में इसकी लागत 879 डॉलर है. कनाडा में इसकी लागत 2427 डॉलर है. इटली में 870 डॉलर है.

भारत एकमात्र देश है, जहां इसकी लागत 2010 के बाद से लगातार घटती रही है. घटने की दर 80 फीसदी तक रही है.

विशेषज्ञों का कहना है कि एक मेगावाट की लागत 20 डॉलर तक हो सकता है. बशर्ते उसे सरकार का नीतिगत समर्थन मिलता रहे.

हालांकि, 2019 में 2018 की तरह ही 109 गीगावाट क्षमता विकसित की गई.

क्या है लक्ष्य
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 2022 तक 225 GW नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है. इसमें से 114 GW सौर और 67 GW वायु तथा हाइड्रो एवं अन्य स्रोतों से पूरी की जाएगी. अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में भारत में अगले चार वर्षों में 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की संभावना है. 2023 तक पूरे भारत में लगभग 5,000 कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट स्थापित किए जाएंगे. 2040 तक, कुल बिजली का लगभग 49% नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पन्न होगा. उम्मीद की जा रही है कि तब तक ऐसे बैटरी आ जाएंगे, तो बिजली को स्टोर कर सकेंगे. और ऐसा हुआ, तो सौर ऊर्जा की लागत में 66 फीसदी कटौती संभव हो सकेगी.

कोयले की जगह पर नवीनीकरण का उपयोग करने पर 2030 तक भारत सालाना 54 हजार करोड़ रु. की बचत कर सकेगा. बिजली की कुल उत्पादन क्षमता में इसका योगदान 55 फीसदी तक हो जाएगा.

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