नयी दिल्ली : भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि 1999 में अगवा कर लिये गये इंडियन एयरलाइंस के विमान यात्रियों के बदले अफगानिस्तान के कंधार में दुर्दांत आतंकवादियों की रिहाई भारत के आधुनिक इतिहास में आतंकवादियों के सामने 'सबसे बुरा आत्मसमर्पण' रहा है.
स्वामी की 'ह्यूमन राइटस एंड टेरेरिज्म इन इंडिया' नामक एक नयी पुस्तक आयी है, जिसमें यह बताया गया है कि कैसे आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए उचित प्रतिबंधों के भीतर मानवीय और मौलिक अधिकारों के साथ सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है, जो संविधान में अनुमत है और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जिसे बरकरार रखा गया है.
आतंकवाद का मुकाबला करने की रणनीति तैयार हो
उनका कहना है कि इस अध्ययन की मान्यता है कि आतंकवाद को रोकने के लिए भारत को एक राष्ट्र के रूप में पहचान की अवधारणा को बढ़ावा देना चाहिए. वह पुस्तक में लिखते हैं, 'इस पहचान से मानवाधिकार की आधारिशला का पुनर्गठित किया गया हो. तब, सुरक्षित मानवाधिकार के साथ आतंकवाद का मुकाबला करने की रणनीति तैयार की जा सकती है.'
हर-आनंद प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में कहा गया है, 'जो राष्ट्र विखंडित हो गये, उनके विपरीत जो एकजुट रहे हैं, उनके अध्ययन से ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय एकता का मूलभूत तत्व 'हम कौन हैं' की हमारी पहचान की अवधारणा है, जिसे एक निश्चित भौगोलिक-राजनीतिक सीमा के अंदर के लोग स्वीकार करें. इस अवधारणा को हालांकि पोषित, नवीकृत, निरंतर समृद्ध, और आधारित किया जाना है.'
प्रभावी पूर्ण समाधान करने की जरूरत