नई दिल्ली:अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सोमवार को एक नया मोड़ आया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता को भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा रखते हुए एक हलफनामा पेश करना चाहिए. सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि मुख्य याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर लोन वही हैं जो कथित तौर पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारा लगाया था और अब अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती दी है. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इन आरोपों पर याचिकाकर्ता से जवाब मांगेगी.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं. यह पीठ अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. एक वकील ने पीठ के समक्ष कहा कि याचिकाकर्ता अकबर लोन ने विधानसभा में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे और अदालत को सूचित किया कि उन्होंने इस मामले में तीन पेज का नोट जमा किया है.
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे मेहता ने कहा कि वह मुख्य याचिकाकर्ता हैं और सदन में पाकिस्तान जिंदाबाद कहने की उनकी अपनी गंभीरता है. अदालत को यह देखना चाहिए कि अनुच्छेद 370 जारी रखने के दावा कौन कर रहा है. वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि उन्हें माफी मांगनी चाहिए. मेहता ने कहा, 'उन्हें एक हलफनामा दायर करना चाहिए जिसमें कहा जाए कि मैं भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखता हूं.
उन्हें कहना चाहिए कि मैं जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद का पुरजोर विरोध करता हूं.' एक वकील ने कहा कि लोन ने कोई पछतावा नहीं दिखाया है. मेहता ने कहा, 'अकबर लोन को यह कहना चाहिए कि मैं जम्मू-कश्मीर और अन्य जगहों पर पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद का विरोध करता हूं. इसे रिकॉर्ड पर आना चाहिए. वह मुख्य याचिकाकर्ता हैं. वह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं हैं, वह एक सांसद हैं.'