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इस बार का सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार प्रो. विनोद शर्मा को मिला

साल 2022 के सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के लिए संस्थान श्रेणी में गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान और व्यक्तिगत श्रेणी में प्रोफेसर विनोद शर्मा को चयनित किया गया है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में आज शाम आयोजित होने वाले अलंकरण समारोह में उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा. इसके तहत 51 लाख का रुपये का नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा.

Professor Vinod Sharma Nominated For 2022 year's Subhash Chandra Bose Aapda Prabandhan Puraskar 2022
सुभाष चंद्र बोस

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Published : Jan 23, 2022, 12:51 PM IST

Updated : Jan 23, 2022, 1:32 PM IST

अहमदाबाद :भारत में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में संगठनों और व्यक्तिगत स्तर पर दिए गए अमूल्य योगदान और निःस्वार्थ सेवा को मान्यता और सम्मान देने के लिए भारत सरकार हर साल सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार प्रदान करती है. इस बार (2022 का) यह पुरस्कार गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान (संस्थान श्रेणी) और प्रोफेसर विनोद शर्मा (व्यक्तिगत श्रेणी) को दिया जाएगा. पुरस्कार की घोषणा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर हर साल 23 जनवरी को की जाती है. इस पुरस्कार में एक संस्थान के मामले में 51 लाख रुपये नकद और एक प्रमाण पत्र तथा व्यक्ति के मामले में 5 लाख रुपये और एक प्रमाण पत्र दिया जाता है.

वर्ष 2022 के सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार योजना का प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक स्तर पर प्रचार किया गया था. इस वर्ष के पुरस्कार के लिए 1 जुलाई, 2021 से नामांकन मांगे गए थे, जिसके प्रत्युत्तर में संस्थाओं और व्यक्तियों से कुल 243 वैध नामांकन प्राप्त हुए. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में आज शाम आयोजित होने वाले अलंकरण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2019, 2020 और 2021 के पुरस्कार विजेताओं को भी सम्मानित किया जाएगा.

कौन हैं विनोद शर्मा

प्रोफेसर विनोद शर्मा, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के वरिष्ठ प्रोफेसर और सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष हैं. वह राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन केंद्र के संस्थापक संयोजक हैं. इसका नया नाम राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान है. उन्होंने आपदा जोखिम को कम-से-कम करने (DRR) से सम्बंधित विषय को राष्ट्रीय एजेंडा के प्रमुख कार्य के रूप में शामिल करने की दिशा में अथक प्रयास किये हैं. भारत में डीआरआर में उनके अग्रणी कार्य ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई और वे लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) तथा अन्य सभी प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों (एटीआई) में आपदा प्रबंधन विषय के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं. सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के रूप में, उन्होंने जलवायु परिवर्तन और डीआरआर को जोड़ने के लिए पंचायत स्तर की तैयारी योजनाओं की शुरुआत करते हुए सिक्किम को डीआरआर लागू करने में एक आदर्श राज्य बनाया है.

गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान (जीआईडीएम) 2012 में स्थापित किया गया था. रणनीतिक रूप से डिजाइन किए गए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की एक श्रृंखला के माध्यम से, जीआईडीएम ने महामारी के दौरान बहु-संकट जोखिम प्रबंधन और इसे कम करने से संबंधित विभिन्न विषयों पर 12,000 से अधिक पेशेवरों को प्रशिक्षित किया है. इनके कुछ प्रमुख पहल हैं - उपयोगकर्ता-अनुकूल गुजरात अग्नि सुरक्षा अनुपालन पोर्टल का विकास और एकीकृत रोग निगरानी परियोजना के पूरक के रूप में कोविड-19 निगरानी प्रयासों के तहत प्रौद्योगिकी आधारित उन्नत कोविड -19 सिंड्रोम निगरानी (एसीएसवाईएस) प्रणाली का विकास.

इससे पहले वर्ष 2021 के लिए सस्टेनेबल एनवायरमेंट एंड इकोलॉजिकल डेवलपमेंट सोसायटी (संस्थागत श्रेणी में) और डॉ. राजेंद्र कुमार भंडारी (व्यक्तिगत श्रेणी में) को पुरस्कार दिया गया था. 2020 में इस पुरस्कार के लिए डिजास्टर मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर, उत्तराखंड (संस्थागत श्रेणी) और कुमार मन्नान सिंह (व्यक्तिगत श्रेणी) का इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया था.

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Last Updated : Jan 23, 2022, 1:32 PM IST

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