नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती श्रद्धांजलि दी. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, लोकसभा और राज्यसभा में दलों के नेता, संसद सदस्य, पूर्व सांसद और अन्य गणमान्य नेताओं ने भी श्रद्धांजलि दी. इसके बाद पीएम मोदी ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों का नामकरण किया.
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरोप लगाया कि पहले की सरकारों में विकृत वैचारिक राजनीति के कारण आत्मविश्वास की कमी और हीनभावना रही जिसकी वजह से देश के सामर्थ्य को कम आंका गया. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने दुर्गम और अप्रासंगिक मानकर हिमालयी, पूर्वोत्तर और द्वीपीय क्षेत्रों की दशकों तक उपेक्षा की तथा उनके विकास को नजरअंदाज किया.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इस अवसर पर अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े द्वीपों का नामकरण परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह आरोप भी लगाया कि आजादी के बाद देश के स्वाधीनता आंदोलन के इतने बड़े नायक को भुला देने का प्रयास हुआ.
नेताजी की याद में दिल्ली के इंडिया गेट पर उनकी प्रतिमा स्थापित करने, आजाद हिंद सरकार के गठन के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर लाल किले पर तिरंगा फहराने, उनके जीवन से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने सहित अन्य कदमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, 'जिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस को आजादी के बाद भुला देने का प्रयास हुआ, आज देश उन्हें पल-पल याद कर रहा है.'
इस कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हिस्सा ले रहे प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर बनाए जाने वाले नेताजी राष्ट्रीय स्मारक के प्रतिरूप का भी उद्घाटन किया. कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, तीनों रक्षा सेवाओं के प्रमुख, अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल देवेंद्र कुमार जोशी सहित कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमारे देश की पहले की सरकारों में, खासकर विकृत, वैचारिक राजनीति के कारण दशकों से जो आत्मविश्वास की कमी और हीनभावना रही, उसके कारण देश के सामर्थ्य को हमेशा कम आंका गया.' उन्होंने कहा, 'चाहे हमारे हिमालयी राज्य हों, विशेषकर पूर्वोत्तर के राज्य हों या फिर अंडमान निकोबार जैसे समुद्री द्वीप क्षेत्र.... इन्हें लेकर यह सोच रहती थी कि ये तो दूरदराज के दुर्गम और अप्रासंगिक इलाके हैं.
और इसी सोच के कारण ऐसे क्षेत्रों की दशकों तक उपेक्षा हुई। उनके विकास को नजरअंदाज किया गया. अण्डमान निकोबार द्वीप समूह इसका भी साक्षी रहा है.' प्रधानमंत्री ने सिंगापुर, मालदीव और सेशेल्स का उदाहरण देते हुए कहा कि अपने संसाधनों के सही इस्तेमाल से ये देश और द्वीपीय क्षेत्र पर्यटन के आकर्षण का केंद्र बन गए हैं और आज पूरी दुनिया से लोग इन देशों में पर्यटन के लिए जाते हैं.