सूरत :जिस चीन को कोरोना वायरस बीमारी के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार माना जा रहा है उसी चीन से पूर्वांचल के बहुत से युवाओं का कॅरियर जुड़ा हुआ है. वहीं चीन में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए हर साल कई भारतीय छात्रों का दाखिला होता है, लेकिन चीन में मेडिकल के छात्र मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. 17 महीने हो चुके हैं और वे कोरोना काल में ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं.
एमबीबीएस की पढ़ाई में प्रैक्टिकल होना भी बहुत जरुरी है लेकिन मेडिकल क्षेत्र में बिना प्रैक्टिकल ऑनलाइन पढ़ाई के कारण छात्र असमंजस में हैं. जिससे वे मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. सूरत की रहने वाली और चीन के वुहान के एक मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के तीसरे साल की पढ़ाई कर रही सिद्धि पांड्या इस समय अपने करियर को लेकर चिंतित हैं. वह 17 महीने से सूरत में रह रही है, लेकिन बिना किसी प्रैक्टिकल ज्ञान के वह ऑनलाइन एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है.
प्रैक्टिकल ज्ञान
कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई थी. उस समय सिद्धि पांड्या वुहान में थीं. कोरोना की शुरुआत उसी समय हुई थी. सिद्धि को नहीं पता था कि जिस शहर में वह रहती है और पढ़ती है, वह पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैला देगा. सिद्धि पंड्या ने कहा, भारत और चीन के समय में ढाई घंटे का अंतर है. ऑनलाइन कक्षाएं सुबह से शाम तक चलती हैं, लेकिन मेडिकल क्षेत्र में बिना प्रैक्टिकल के ज्ञान हासिल करना छात्रों के लिए चिंता का विषय बन गया है. चीन में इस समय मेडिकल की पढ़ाई कर रहे एक पाकिस्तानी युवक ने आत्महत्या कर ली है. वहीं अन्य जगह मानसिक तनाव के चलते एक छात्र को दिल का दौरा पड़ा गया.