मुंबई : आईआईटी में छात्र दर्शन सोलंकी की मौत के लिए जातिगत भेदभाव को जिम्मेदार ठहराया गया है. उनके चाचा देवांग कुमार ने सीधे आईआईटी पर ही आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि इस आईआईटी में जातिगत भेदभाव के बाद काउंसिलिंग व्यवस्था के बावजूद हमारे बेटे की मौत को नहीं रोका जा सका. उन्होंने कहा कि दर्शन सोलंकी का अंतिम संस्कार गुजरात में हो जाने के बाद हम मुंबई आएंगे. उन्होंने बयान दिया है कि वह इसकी शिकायत करेंगे (IIT student death case).
देश के नामी इंजीनियरिंग संस्थान IIT बॉम्बे में केमिकल इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहे दर्शन सोलंकी दलित जाति से आते थे. छात्रों ने आरोप लगाया कि उनकी मौत जातिगत भेदभाव के कारण हुई. वहीं, आईटी में छात्र संगठन अंबेडकर पेरिया स्टडी सर्कल की ओर से भी यही कहा गया है. दर्शन सोलंकी और उनका परिवार गुजरात में रहता है.
दर्शन सोलंकी के चाचा ने आईआईटी मुंबई पर आरोप लगाते हुए कहा है, 'जातिगत भेदभाव के कारण हमारे बेटे की मौत हुई है. आईआईटी मुंबई में पढ़ने वाले दलित छात्र अनिकेत अंभोरे ने भी कोरोना महामारी से पहले इसी तरह से अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी.'
उनकी मृत्यु का कारण जातिगत भेदभाव था; छात्रों ने भी उस समय कहा था, लेकिन चूंकि ऐसी घटनाओं की निष्पक्ष जांच करना मुश्किल होता है, माता-पिता थक जाते हैं और मामले को आगे नहीं बढ़ा पाते हैं. इसीलिए अंबेडकर पेरियार स्टडी सर्कल के छात्र भी कह रहे हैं कि कानून के मुताबिक आईआईटी मुंबई और स्थानीय पुलिस से जांच कराना जरूरी है.
दर्शन सोलंकी के दोस्तों ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत के साथ संवाद करते हुए कहा, 'छात्रों को आईआईटी में भेदभावपूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ता है. जैसे 'यह दलित युवा आरक्षण कोटे से आता है.' 'इनमें हैसियत नहीं है, इनमें गुण नहीं है और ये दलित जाति से आते हैं.' उनके माता-पिता ने कहा कि ये उस समय के अखबारों में छपा था. अब दर्शन सोलंकी की भी ऐसे ही मौत हो गई. मुंबई में आईआईटी ने कहा है