नई दिल्ली: वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से हर साल 15 सितंबर से 30 नवंबर तक देश के छह राज्यों में पराली जलाने की सेटेलाइट से निगरानी की जाती है. इस बार भी 15 सितंबर से निगरानी शुरू कर दी जाएगी. पराली जलाने वालों पर राज्य सरकार की ओर से जुर्माना लगाने की कार्रवाई भी की जाती है. पर्यावरणविद के मुताबिक दिल्ली एनसीआर में बीते वर्ष पराली जलाने से 28 प्रतिशत तक प्रदूषण हुआ था.
देश के छह राज्य पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में सेटेलाइट से पराली जलाने की निगरानी की जाती है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नियमित निगरानी के बाद रिपोर्ट भी जारी करता है, बीते वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे ज्यादा पंजाब में पराली जलाई गई. इसके बाद मध्य प्रदेश हरियाणा और उत्तर प्रदेश का नंबर आता है. इन राज्यों में पराली जलने पर हवा के रुख से दिल्ली भी प्रदूषित होती है.
पराली जलाने के मामले कम होने से राहत की उम्मीद
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के आंकड़ों पर गौर करें तो छह राज्यों में वर्ष 2021 में 92 हजार 42 स्थान पर परली जलाई गई थी. बीते वर्ष 2022 में पराली जलाने के मामलों में गिरावट दर्ज की गई. वर्ष 2022 में पराली जलाने के 69,615 मामले सामने आए. इस तरह पराली जलाने में 24.36 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. उम्मीद है कि इस बार भी पराली जलाने के मामलों में और गिरावट दर्ज की जाएगी और वायु प्रदूषण कम होगा.
पराली न जले दिल्ली सरकार पड़ोसी राज्यों से करेगी बात: दिल्ली से सटे राज्यों में पराली जलाए जाने पर हवा के साथ प्रदूषण दिल्ली में भी आ जाता है. इससे दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है. इस बार दिल्ली सरकार प्रदूषण की रोकथाम को लेकर अभी से विंटर एक्शन प्लान तैयार करने में जुट गई है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि पराली जलाए जाने पर रोक लगाने के लिए दिल्ली सरकार पड़ोसी राज्यों से बात करेगी. वहीं दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम को लेकर पटाखों के निर्माण भंडारण और बिक्री पर 13 सितंबर से दिल्ली सरकार ने रोक लगा दी है.