चंडीगढ़: हर साल सितंबर के मध्य से धान की फसल के अवशेषों के जलाने का सिलसिला सालों से हरियाणा और पंजाब में चलन में है. फसल की कटाई के साथ ही इन दोनों राज्यों में किसान फसलों के अवशेष यानी पराली को जलाना शुरू कर देते हैं. इसका सीधा असर एनसीआर क्षेत्र में एयर क्वालिटी इंडेक्स पर भी देखने को मिलता है. वहीं, पराली को लेकर हरियाणा में पंजाब के मुकाबले सरकार सख्त है.
सरकारें सख्त, फिर भी किसान जला रहे पराली: हरियाणा में सरकार जहां किसानों को प्रोत्साहन राशि देने का काम कर रही है, वहीं किसानों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए जुर्माना भी लगाया जा रहा है. बावजूद इसके हरियाणा में इस साल के 15 सितंबर से अभी तक के पराली जलाने के आंकड़े पिछले साल के मुकाबले चार गुना ज्यादा है. वहीं, पंजाब में भी पिछले साल के मुकाबले अभी तक इसमें करीब 30 फीसदी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.
क्या कहते हैं आंकड़े?: धान के अवशेष यानी परली जलाने का आंकड़ा का रियल टाइम मॉनिटरिंग डाटा 15 सितंबर से जुटना शुरू होता है. हर साल अक्टूबर के सप्ताह से नवंबर की शुरुआत तक सबसे ज्यादा पराली हरियाणा और पंजाब में जलती है. आंकड़े भी कुछ यही कहानी बयां करते हैं. हरियाणा में जहां 15 से 29 सितंबर तक का आंकड़ा 49 था, वहीं पंजाब में यह आंकड़ा 133 था, लेकिन 30 सितंबर से 5 अक्टूबर तक दोनों राज्यों की स्थिति तेजी से बदल गई.
हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने के आंकड़े. सख्ती के बावजूद तेजी से जलने लगी पराली: हरियाणा में 15 से 29 सितंबर तक 49 थे. वहीं अगले छह दिनों में इसमें 141 मामले नए जुड़ गए. 5 अक्टूबर तक हरियाणा में 190 परली जलाने के मामले दर्ज हो चुके हैं. वहीं, पंजाब भी इस दरमियान 133 से सीधा 754 मामलों तक पूछ गया है. वहीं, अगर इस मामले में यूपी, दिल्ली, मध्यप्रदेश और राजस्थान की बात करें तो इसमें पराली जलाने के आंकड़े अभी काफी कम हैं. उत्तर प्रदेश 88, दिल्ली 01, मध्य प्रदेश 65 और राजस्थान 56 है.
इन राज्यों में धड़ल्ले से किसान जला रहे पराली. क्या था पिछले साल इसी अवधि में दोनों राज्यों का आंकड़ा: पिछले साल के मुकाबले हरियाणा में हिस्सा अभी तक करीब चार गुना ज्यादा प्रणाली जलाने के मामले सामने आए हैं. पिछले साल 15 से 5 अक्टूबर तक हरियाणा में सिर्फ 48 मामले पराली जलाने के दर्ज हुए थे, जो इस साल 190 हैं. वहीं, पंजाब में पिछले साल इसी अवधि में 545 मामले दर्ज हुए थे, जो इस साल 754 है. पंजाब में 1 अक्टूबर के बाद 100 और इससे अधिक मामले पराली जलाने के सामने आ रहे हैं. वही हरियाणा में इसी अवधि में यह आंकड़ा रोजाना 20 से अधिक का है.
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सरकार कर रही कार्रवाई, लेकिन फिर भी किसान जला रहे पराली: हरियाणा सरकार पराली जलाने के मामलों को लेकर कार्रवाई भी कर रही है. सरकार ने पराली जलाने के मामले में 100 से अधिक किसानों का अभी तक चालान किया है, जिनसे करीब 3 लाख का जुर्माना भी वसूला जा चुका है. बावजूद इसके किसान फिर भी पराली जला रहे हैं. हरियाणा की तरह ही पंजाब में सरकार पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है पंजाब में भी अभी तक किसानों से एक लाख से अधिक का जुर्माना वसूला जा चुका है.
पराली जलाने के आंकड़े चिंताजनक हरियाणा इन शहरों में एक्यूआई लेवल 200 के पार: चिंता की बात यह है कि देश के 10 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में हरियाणा के 4 शहर शामिल हैं. इसका मुख्य कारण प्रदेश में पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी है.सख्ती के बावजूद प्रदेश में पराली जलाने के मामलों में कमी नहीं आ रही है. पराली जलाने से प्रदेश के सोनीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, कैथल और धारूहेड़ा में एक्यूआई लेवल चिंताजनक है. फरीदाबाद में एक्यूआई लेवल 324, कैथल में 299, सोनीपत में 297, गुरुग्राम में 292 और धारूहेड़ा में एक्यूआई लेवल 229 दर्ज किया गया है, जो बेहद चिंताजनक है.
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