क्वींसलैंड : तनाव हमारे जीन की गतिविधि और कार्य को प्रभावित (affect gene activity and function) कर सकता है. यह एपिजेनेटिक परिवर्तनों (epigenetic changes) के माध्यम से ऐसा करता है, जो हमारी कुछ जीन को चालू और बंद करता है, हालांकि यह डीएनए कोड (DNA code) को नहीं बदलता है.
लेकिन कुछ लोग तनाव के प्रति अधिक खराब प्रतिक्रिया क्यों देते हैं, जबकि अन्य लोग दबाव में रहते हुए इसका सामना करते हैं? पिछले शोधों ने मजबूत सामाजिक बंधनों की पहचान की है और अपनेपन की भावना को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य (mental and physical health) को मजबूत बनाए रखने का माध्यम पाया हैं.
सामाजिक समर्थन का अर्थ है एक ऐसा नेटवर्क होना जो जरूरत के समय में आपके साथ हो. यह प्राकृतिक स्रोतों जैसे परिवार, दोस्तों, भागीदारों, पालतू जानवरों, सहकर्मियों और सामुदायिक समूहों से आ सकता है. या औपचारिक स्रोतों जैसे मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से.
जर्नल ऑफ साइकियाट्रिक रिसर्च में प्रकाशित नया अध्ययन पहली बार दिखाता है कि ये सकारात्मक प्रभाव मानव जीन पर (positive effect on human genes) भी देखे गए हैं. सहायक सामाजिक संरचनाएं (supporting social structures) होने से एपिजेनेटिक्स की प्रक्रिया के माध्यम से हमारे जीन और स्वास्थ्य पर तनाव के कुछ हानिकारक प्रभावों को दूर किया जा सकता है. निष्कर्ष बताते हैं कि हम जिस डीएनए के साथ पैदा हुए हैं, वह जरूरी नहीं कि हमारी नियति हो.
एपिजेनेटिक्स क्या है?
हमारे जीन और हमारा पर्यावरण हमारे स्वास्थ्य में योगदान करते हैं. हमें अपना डीएनए कोड अपने माता-पिता से विरासत में मिलता है और यह हमारे जीवन के दौरान नहीं बदलता है. जेनेटिक्स इस बात का अध्ययन है कि डीएनए कोड किसी विशेष लक्षण या बीमारी के लिए जोखिम या सुरक्षात्मक कारक के रूप में कैसे कार्य करता है.
एपिजेनेटिक्स डीएनए के शीर्ष पर निर्देशों की एक अतिरिक्त परत है जो यह निर्धारित करती है कि वे शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं. यह परत डीएनए कोड को बदले बिना रासायनिक रूप से डीएनए को संशोधित (chemically modify DNA) कर सकती है.
एपिजेनेटिक्स शब्द ग्रीक शब्द एपि से लिया गया है जिसका अर्थ है सबसे ऊपर. जानकारी की यह अतिरिक्त परत जीन और आसपास के डीएनए के ऊपर होती है. यह एक स्विच की तरह काम करता है, जीन को चालू या बंद करता है, जो हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है.
विभिन्न पर्यावरणीय कारकों जैसे तनाव, व्यायाम, आहार, शराब और नशीली दवाओं के कारण हमारे पूरे जीवन में एपिजेनेटिक परिवर्तन होते हैं. उदाहरण के लिए पुराना तनाव हमारे जीन को एपिजेनेटिक परिवर्तनों के माध्यम से प्रभावित कर सकता है जो बदले में मानसिक स्वास्थ्य विकारों जैसे पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी), अवसाद और चिंता की दर को बढ़ा सकता है.
नई प्रौद्योगिकियां अब शोधकर्ताओं को किसी व्यक्ति से एक जैविक नमूना (जैसे रक्त या लार) एकत्र करने और एपिजेनेटिक्स को मापने का अवसर देती हैं ताकि यह बेहतर ढंग से समझ सकें कि हमारे जीन विभिन्न वातावरणों पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं. अलग-अलग समय पर एपिजेनेटिक्स को मापने से हमें इसके बारे में और अधिक जानने का मौका मिलता है कि किसी विशेष वातावरण के कारण कौन से जीन बदल जाते हैं.
हमने क्या अध्ययन किया?