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Strawberry Harvesting : कश्मीर में स्ट्रॉबेरी की फसल का जोर, किसानों की मांग- सरकार करे मदद, बढ़ेगा मुनाफा - स्ट्रॉबेरी की कटाई

स्ट्रॉबेरी का उत्पादन घाटी में सर्दियों के अंत के बाद होता है. पौधे से निकाले जाने के बाद फल केवल तीन या चार दिनों तक ही ताजा रह सकता है, जिसके लिए इसे तुरंत बाजारों और बाजारों में पहुंचाना चाहिए.

Strawberry harvesting in Kashmir
कश्मीर में स्ट्रॉबेरी की फसल का जोर

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Published : May 31, 2023, 7:53 AM IST

श्रीनगर :आमतौर से भारत में स्ट्रॉबेरी के उत्पादन के लिए महाराष्ट्र अपनी अलग पहचान रखता है. स्ट्रॉबेरी की खेती हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में भी बड़े पैमाने पर की जाती है. स्ट्रॉबेरी को भारत में नकदी फसल के रूप में उगाया जाता है. सरकारी अनुमानों के अनुसार, यह फल अन्य फसलों की तुलना में किसान को बेहतर वार्षिक लाभ प्रदान कर सकता है. कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर की से कुछ ही दुरी पर स्थित गोसो गांव और उसके उपनगरों में लगभग 15 साल पहले स्ट्रॉबेरी को जम्मू और कश्मीर में पहली बार उगाया गया था.

कश्मीर में स्ट्रॉबेरी की फसल का जोर

आज इलाके में 1000 से अधिक किसान इस फल की खेती में कर रहे हैं. कश्मीर में अप्रैल की शुरुआत से मई के अंत तक पौधों से स्ट्रॉबेरी तोड़ ली जाती है. इस वर्ष अच्छी उपज से जहां किसान खुश थे, वहीं फसल कटाई के समय भारी बारिश और ओलावृष्टि से फसल को नुकसान हुआ, जिससे किसानों को परेशानी हुई. स्ट्रॉबेरी की खेती से जुड़े किसान मंजूर अहमद डार ने बताया कि इस साल बारिश के कारण इस फल के उत्पादन को 20 फीसदी तक नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि इस साल स्ट्रॉबेरी का उत्पादन अच्छा होता, लेकिन बारिश के कारण फसल खराब हो गई.

कश्मीर में स्ट्रॉबेरी की फसल का जोर

उन्होंने कहा कि जो फसल हुई भी वह भी खराब मौसम के कारण समय पर बाजार नहीं पहुंच पाई. उन्होंने कहा कि यहां से औसतन 2000 किलो स्ट्रॉबेरी बाजारों में भेजी जाती है. हालांकि अब दक्षिण कश्मीर के कई हिस्सों और उत्तरी कश्मीर के तंगमर्ग क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी की खेती की जाने लगी है. लेकिन गोसू में स्ट्रॉबेरी उगाने वालों की संख्या सबसे अधिक है. यहां की स्ट्रॉबेरी उच्च गुणवत्ता के कारण बहुत स्वादिष्ट मानी जाती है.

कश्मीर में स्ट्रॉबेरी की फसल का जोर

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डार की मां हाजरा ने कहा कि स्ट्रॉबेरी उगाने, जमीन तैयार करने, खाद डालने, पानी डालने और फिर कटाई के बाद फसल को पैक करने में काफी मेहनत लगती है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर वे माल सीधे बाजार भेज देते हैं जबकि कुछ व्यापारी हमारे पास आते हैं और माल ले जाते हैं. उन्होंने कहा कि ज्यादातर आइसक्रीम फैक्ट्री, बेकरी शॉप और जूस फैक्ट्री के मालिक हमसे फल खरीदते हैं. उन्होंने सरकार से उनके पक्ष में एक योजना की घोषणा करने की अपील करते हुए कहा कि सरकार की मदद से सरकार की ओर से इस फल का उत्पादन काफी बढ़ सकता है.

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