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शिमला में है एशिया का सबसे पुराना स्कूल, रतन टाटा-बिपिन रावत ने की है पढ़ाई

आजादी से पहले ही शिमला पर्यटन के साथ साथ शिक्षा का हब भी रही है. जब पूरे देश में शिक्षा का आभाव था. अच्छे स्कूलों की कमी थी उस समय शिमला भारत के साथ साथ पूरे एशिया महाद्वीप में शिक्षा का केंद्र था. प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉन्ड, उद्योगपति रतन टाटा, ब्रिटिश आर्मी के अफसर मेजर रॉय फैरन, पूर्व सेना प्रमुख पीसी लाल, जलियांवाला बाग हत्याकांड का जिम्मेदार जनरल डायर, हिमाचल प्रदेश के छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शिमला में अपनी शिक्षा हासिल की है.

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Published : Jul 22, 2021, 12:07 PM IST

एशिया का सबसे पुराना स्कूल
एशिया का सबसे पुराना स्कूल

शिमलाः जब भी इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाता है. तब इतिहास के झरोखे में शिमला शिक्षा का हब नजर आता है. ब्रिटिश शासन काल से ही अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए मशहूर शिमला खुद में कई ऐतिहासिक धरोहरों को समेटे हुए है. ब्रिटिश शासन काल में ग्रीष्मकालीन राजधानी रही शिमला के ऐतिहासिक स्कूलों का अपना ही महत्व है.

एशिया का सबसे पुराना स्कूल

ब्रिटिश काल से ही शिमला शिक्षा का केंद्र रहा था. शिमला में कई स्कूल 150 साल पुराने हैं. इन स्कूलों से कई नामचीन हस्तियों ने शिक्षा हासिल कर अलग अलग क्षेत्रों में कामयाबी के झंडे गाड़े हैं. आज भी ये स्कूल शिक्षा के स्तर को बनाए हुए हैं.

शिमला का बिशप कॉटन स्कूल एशिया का सबसे पुराना स्कूल है. इसकी स्थापना 28 जुलाई 1859 को हुई थी. स्कूल के संस्थापक बिशप जॉर्ज एडवर्ड लिंच कॉटन थे. स्कूल का कैंपस 56 एकड़ में फैला हुआ है. साल 1905 में स्कूल की बिल्डिंग में आग लग गई. इसके बाद साल 1907 में इसे फिर से बनाया गया. स्कूल कई ऐतिहासिक धरोहरों को समेटे हुए है. साल 1914 में हुए विश्व युद्ध के शहीदों के नाम भी इस स्कूल में अंकित किए गए हैं.

22 अक्टूबर 1947 को भारत-पाक विभाजन के समय स्कूल के दरवाजे बंद कर दिए गए थे. इस समय यहां पाकिस्तान के 42 छात्र पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन विभाजन की वजह से इन विद्यार्थियों को स्कूल छोड़ना पड़ा था. अंतिम दिन इरविन हॉल में हुई स्पीच में इन छात्रों को यह जानकारी दी गई कि विभाजन की वजह से पाकिस्तान के छात्रों को स्कूल छोड़ कर जाना होगा.

इसके बाद साल 1947 से लेकर साल 2009 तक स्कूल के इरविन हॉल को बंद रखा गया. साल 2009 में इरविन हॉल के दरवाजे जब खोले गए, तब 62 साल पहले स्कूल छोड़कर पाकिस्तान गए छात्रों को भी इसमें आमंत्रित किया गया था. यह लोग कालका-शिमला टॉय ट्रेन में सवार होकर स्कूल पहुंचे थे.

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इतिहासकार सुमित राज वशिष्ट बताते हैं कि साल 1856 में स्कूल को जतोग में शुरू किया गया था. 3 साल बाद इसे इसकी वर्तमान जगह बीसीएस शिफ्ट किया गया और स्कूल का नाम बिशप एडवर्ड लिंच कॉटन के नाम पर रखा गया. बिशप कॉटन स्कूल में प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉन्ड, उद्योगपति रतन टाटा, ब्रिटिश आर्मी के अफसर मेजर रॉय फैरन, जलियांवाला बाग हत्याकांड का जिम्मेदार जनरल डायर, हिमाचल प्रदेश के छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पढ़ाई की है.

शिमला का ऑकलैंड हाउस स्कूल

शिमला का मशहूर ऑकलैंड हाउस स्कूल साल 1866 में बना था. शुरुआत में इसे केवल 32 छात्राओं के लिए ही बनाया गया था. यह स्कूल पहले वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निजी आवास हॉलीलॉज में शुरू हुआ था. बाद में स्कूल को इसके वर्तमान स्थान पर शिफ्ट किया गया. इतिहासकार सुमित राज वशिष्ठ दिलचस्प बात बताते हैं कि ऑकलैंड हाउस स्कूल को बिशप कॉटन स्कूल के संस्थापक बिशप जॉर्ज एडवर्ड लिंच की पत्नी ने शुरू किया था. इसके साथ ही शिमला में लॉरेंट कॉन्वेंट स्कूल की स्थापना की गई थी. इसे आज लोग ताराहॉल के नाम से जानते हैं.

शिमला का मशहूर सैंट एडवर्ड स्कूल

शिमला के मशहूर सैंट एडवर्ड स्कूल की स्थापना 96 वर्ष पहले साल 1925 में हुई थी. स्कूल के गिनती शिमला के सबसे पुराने स्कूलों में होती है. इस स्कूल से देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपक गुप्ता, सीडीएस बिपिन रावत, हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश रहे संजय करोल, न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर और पंजाब के पूर्व डीजीपी कंवर पाल सिंह गिल पढ़े हैं.

शिमला का लालपानी स्कूल

शिमला के लाल पानी स्कूल की गिनती प्रदेश के सबसे बेहतरीन स्कूलों में की जाती है. स्कूल की स्थापना साल 1848 में हुई थी. विद्यार्थी प्रदेशभर के विद्यार्थी पढ़ाई के लिए लालपानी स्कूल पहुंचते हैं. स्कूल की दिलचस्प बात यह है कि निजी स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थी भी लालपानी स्कूल में पढ़ने की रुचि रखते हैं. आमतौर पर यह देखा गया है कि दसवीं के बाद विद्यार्थी लालपानी स्कूल खासकर 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के लिए आते हैं.

पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह जनरल जिया-उल-हक ने इसी विद्यालय से शिक्षा ग्रहण की है. 3 अप्रैल 1939 को जब वे 10वीं क्लास में थे, तो स्कूल से भागने के लिए सजा मिली थी. उन्हें इसके लिए दो आने का जुर्माना लगाया गया था. लालपानी स्कूल के प्रिंसिपल रामलाल मारकंडा बताते हैं कि लालपानी स्कूल प्रदेश भर में प्रसिद्ध है. विद्यार्थियों के बीच या खासा लोकप्रिय है. स्कूल से पड़े कई विद्यार्थी आज बड़े बड़े संस्थानों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

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