कुल्लू :सनातन धर्म में माघ मास की पूर्णिमा की तिथि को स्नान, दान और जाप की महत्ता बताई गई है. इस साल 16 फरवरी यानी बुधवार को को माघ मास की पूर्णिमा तिथि बन रही है. ज्योतिषाचार्य दीप कुमार के अनुसार, यह माना जाता है कि माघ मास की पूर्णिमा के दिन जो श्रद्धालु सच्चे मन से पूजा करते हैं, तो उन्हें भगवान विष्णु की विशेष कृपा भी मिलती है.
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सभी कलाओं से सुशोभित होता है और माघ मास की पूर्णिमा की तिथि पर संत रविदास का जन्म हुआ था. इस कारण माघी पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और जाप के अलावा पूर्णिमा तिथि का व्रत भी विशेष फलदायी माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माघ मास में देवता मनुष्य का रूप धारण करके धरती पर रहते हैं और वे भी धार्मिक स्थानों में दान और स्नान करते हैं. पूर्णिमा के दिन देवता आखिरी बार स्नान-दान के बाददेवलोक लौट जाते हैं. इस कारण इस पूरे माघ महीने में ही दान, स्नान, भजन, कीर्तन और मंत्रों के जाप का विशेष महत्व बताया गया है.
ज्योतिषाचार्य दीप कुमार के अनुसार, जो लोग पूरे महीने नियम व्रत नहीं कर सकते वह कम से कम पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और जाप आदि कर सकते हैं. ऐसी मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं. इस दिन गंगा स्नान करने से सुख-सौभाग्य, धन-संतान और मोक्ष की प्राप्ति होती है. वही, प्रयाग में कल्पवास करके त्रिवेणी स्नान करने का अंतिम दिन माघ पूर्णिमा ही है.
माघ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
माघ पूर्णिमा 15 फरवरी 2022, मंगलवार को रात 09:12 बजे से शुरू होगी और 16 फरवरी 2022, बुधवार को रात 10:09 मिनट तक रहेगी. इसी एक साथ एक महीने का कल्पवास भी पूर्ण हो जाएगा. ज्योतिषाचार्य दीप कुमार का कहना है कि माघ पूर्णिमा के दिन अगर आप प्रयागराज में स्नान न कर सकें तो किसी भी गंगा तट पर स्नान कर सकते हैं. अगर ऐसा संभव न हो, तो घर में ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए.
माघी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा की जाती है. इस दिन भक्त नारायण के साथा मां लक्ष्मी की पूजा करें. सत्यनारायण की कथा जरूर पढ़ें. मान्यता है कि इससे सौ यज्ञों के समतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु की पूजा में केले के पत्ते, पंचामृत, पुष्प, पंजीरी, मौली, रोली, कुमकुम, पीले अक्षत, गंगाजल, पीला चंदन आदि का इस्तेमाल करें. इस दिन सामर्थ्य के अनुसार कुछ भी दान करें. आप गुड़, काले तिल, कपास, भोजन, वस्त्र, घी, लड्डू, अन्न आदि कुछ भी दान कर सकते हैं. दान किसी जरूरतमंद को ही करें. काले तिल से हवन करें और अधिक से अधिक नारायण के मंत्रों का जाप करें. मान्यता है कि इससे जीवन के तमाम कष्ट कट जाते हैं और जाप का कई गुणा फल प्राप्त होता है.