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बिहार : मंत्रियों के बंगले की कहानी, किसी के लिए लकी तो किसी के लिए रहा अनलकी

पटना में मंत्रियों के रहने के लिए बने बंगलों की अपनी कहानी है. कुछ बंगले नेताओं को इतने पसंद हैं कि इसके लिए खींचतान की नौबत आ जाती है. मामला कोर्ट तक चला जाता है. वहीं, कुछ बंगले मंत्रियों के लिए इस कदर अनलकी साबित हुए कि मंत्री चुनाव हार गए. एक मंत्री को तो जेल की हवा खानी पड़ी.

मंत्रियों के बंगले की कहानी
मंत्रियों के बंगले की कहानी

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Published : Mar 18, 2021, 10:06 PM IST

पटना :बिहार में मंत्रियों के बीच बंगले को लेकर कई बार आपसी खींचतान देखने को मिली है. कई बार तो बंगले के लिए मंत्री कोर्ट की शरण में भी जा चुके हैं. आखिर बिहार में मंत्रियों को बंगले क्यों इतने प्यारे हैं? ईटीवी भारत आज बिहार के कई बंगलों की कहानी आपको बताएगा.

देखें रिपोर्ट.

10 सर्कुलर रोड बंगला
जब से बिहार में नीतीश कुमार की सरकार आई है, तब से लालू परिवार इस बंगले में रह रहा है. पिछले डेढ़ दशक में लालू परिवार ने कई राजनीतिक उतार-चढ़ाव इसी बंगले में रहकर देखा है. एक वक्त ऐसा आ गया था जब लालू परिवार का कोई भी सदस्य देश के किसी भी सदन का सदस्य नहीं था. कहा जाने लगा था कि आरजेडी अब समाप्ति की ओर है, लेकिन लालू प्रसाद यादव या राबड़ी देवी कभी भी किसी ने इस बंगले को खाली करने की बात नहीं कही. वर्तमान में आरजेडी बिहार की सबसे बड़ी पार्टी है, उसके 75 विधायक जीतकर सदन पहुंचे हैं.

10 सर्कुलर रोड राबड़ी आवास

7 सर्कुलर रोड बंगला
राबड़ी आवास के बगल में स्थित यह बंगला 2014 में चर्चा में आया था. लोकसभा चुनाव में करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. वह एक अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास को खाली कर 7 सर्कुलर रोड स्थित बंगला में आ गए थे. हालांकि यह बंगला बिहार के मुख्य सचिव के नाम पर आवंटित था.

जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाने के बाद नीतीश पार्टी का काम इसी बंगले से देख रहे थे. मगर चंद महीने बाद ही जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार के बीच विवाद हो गया था. नीतीश ने लालू के सहयोग से जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाया. 2015 में एक बार फिर से चुनाव जीतने के बाद जब नीतीश मुख्यमंत्री बने तो इस बंगले को छोड़कर एक अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास लौट गए.

जीतन राम मांझी

5 देश रत्न मार्ग
पांच देश रत्न मार्ग सबसे अधिक चर्चा में रहा है. बतौर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस बंगले की शोभा बढ़ा रहे थे, लेकिन जब सत्ता से बाहर हुए तो वह बंगला खाली करने के लिए तैयार नहीं थे. नतीजा यह हुआ कि सरकार को बंगला खाली कराने के लिए अदालत की शरण में जाना पड़ा.

तेजस्वी यादव

कई महीनों की लड़ाई के बाद बंगला तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के नाम आवंटित किया गया. एक समय नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाने वाले वृशिण पटेल भी इस बंगले में रह चुके हैं. वह सरकार में बतौर मंत्री काम करते वक्त इस बंगले में रहते थे. आज पटेल कहां हैं यह किसी से छिपा नहीं है. वहीं, किस तरह से भाजपा ने सुशील मोदी को बिहार से बाहर का रास्ता दिखाया इसे भी सभी ने देखा है.

एक नेताजी मार्ग
यह बिहार का इकलौता ऐसा बंगला है जहां कोई मंत्री तीन दशक से लगातार रहे हों. राज्य के ऊर्जा और योजना एवं विकास मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव इस बंगले की शोभा तीन दशक से बढ़ा रहे हैं. 1990 में जब बिहार में लालू यादव की सरकार बनी तब भी यादव इसी बंगले में रहते थे और आज तीन दशक बीतने के बाद भी वे इसी बंगले में रह रहे हैं. विजेंद्र प्रसाद यादव उन नेताओं में से हैं, जो लालू और नीतीश के काफी करीबी माने जाते हैं.

दो नेताजी मार्ग
इस बंगले में करीब दो दशक से भाजपा के तेज तर्रार नेता नंद किशोर यादव रह रहे हैं. जब से बिहार में एनडीए की सरकार है, तब से वह लगातार इस बंगले में रह रहे हैं. 2015 में जब नीतीश ने लालू के साथ मिलकर सरकार बनाई, तब नंद किशोर को यह बंगला खाली करना पड़ा था.

उस वक्त बिहार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी को यह बंगला आवंटित किया गया था. जब भाजपा सत्ता में वापस आई तो फिर से नंद किशोर यादव को यह बंगला मिल गया. नंद किशोर यादव के लिए इस बंगले की अहमियत इसी से समझी जा सकती है कि आज वह सरकार में मंत्री नहीं होने के बावजूद भी दो नेताजी मार्ग में ही रहते हैं.

तीन सर्कुलर रोड
पिछले दो दशक से इस बंगले में रहने वाले मंत्रियों को शायद ही दोबारा यहां रहने का मौका मिला है. पूर्व मंत्री प्रेम कुमार इसमें रहते थे, लेकिन अभी वह मंत्री नहीं है. इसलिए उन्हें बंगला खाली करने का आदेश जा चुका है. इनसे पहले अश्विनी चौबे और दुलाल चंद्र गोस्वामी बतौर मंत्री इस बंगले में रह चुके हैं. अश्विनी चौबे और दुलाल चंद्र गोस्वामी मंत्री व सांसद बनकर दिल्ली में काम कर रहे हैं.

आवास संख्या 12 बेली रोड
इस बंगले की अपनी अलग दास्तां है. बतौर मंत्री जो भी इस बंगले में रहते हुए चुनाव लड़ता है, वह चुनाव हार जाता है. नीतीश मिश्रा और शैलेश कुमार इसके ताजा उदाहरण हैं.

6 नेताजी मार्ग
बिहार सरकार के मंत्रियों के लिए इससे ज्यादा अनलकी साबित होने वाला बंगला शायद यही है. पिछले दो दशक में तीन मंत्रियों को बिना कार्यकाल पूरा किए यह बंगला खाली करना पड़ा. कई मंत्रियों को तो इस्तीफा तक देना पड़ा और जेल की हवा भी खानी पड़ी. जेडीयू कोटे के मंत्री अवधेश कुशवाहा रिश्वत लेते देखे गए और वीडियो वायरल हुआ तब नीतीश ने उनसे इस्तीफा ले लिया था. वह मद्य निषेध मंत्री थे.

मंजू वर्मा

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वहीं, लालू-नीतीश की जोड़ी में बनी सरकार में बतौर मंत्री आलोक मेहता इस बंगले की शोभा बढ़ा रहे थे. जब आरजेडी सत्ता से बाहर हुई तो उन्हें भी यह बंगला छोड़ना पड़ा. वहीं, मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को भी यह बंगला छोड़ना पड़ा था.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें बुलाकर मंत्री पद से इस्तीफा मांग लिया था. मंजू वर्मा को इस बंगले में रहते हुए जेल की हवा खानी पड़ी थी. अब यह बंगला वीआईपी पार्टी के नेता व मंत्री मुकेश सहनी के नाम आवंटित है.

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