आनंद-उत्साह का प्रतीक नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित है. माना जाता है कि मां कात्यायनी सभी बुराईयों का नाश करने वाली, एक योद्धा देवी हैं. माता कात्यायनी नवदुर्गा में एक उग्र रूप हैं. उन्हें महिषासुरमर्दिनी के रूप में भी जाना जाता है,क्योंकि उन्होंने शक्तिशाली दुष्ट राक्षस महिषासुर का वध किया था. Chaitra Navratri 2023 . Navratri day 6 . katyayani Mata .
कात्यायनी माता की कथा
कहा जाता है कि बहुत समय पहले कात्यायन नाम के एक ऋषि थे. ऋषि कात्यायन ( Sage Katyayan )देवी शक्ति के बहुत बड़े भक्त थे.ऋषि कात्यायन की हमेशा इच्छा थी कि देवी शक्ति उनकी पुत्री के रूप में जन्म लें. इस दौरान महिषासुर( Demon Mahishasura ) नाम का एक दुष्ट राक्षस देवताओं के लिए काफी परेशानी खड़ी कर रहा था. जैसे-जैसे दिन बीतते गए,वह शक्तिशाली होता गया और देवताओं को चिंता होने लगी. उन्होंने देवी शक्ति ( Goddes Durga ) से प्रार्थना की और उन्हें Mahishasura के प्रकोप से बचाने के लिए कहा. देवी Durga ने पृथ्वी पर जन्म लेने और महिषासुर के शासन को समाप्त करने का फैसला किया.उन्होंने ऋषि Katyayan की इच्छा पूरी की और उनकी बेटी के रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया. वह एक मजबूत, सुंदर योद्धा के रूप में पली-बढ़ी और ऋषि कात्यायन की बेटी कात्यायनी ( Maa Katyayani ) के रूप में प्रसिद्ध हुई.एक बार राक्षस महिषासुर के दो दूत, चंड-मुंड ने मां कात्यायनी ( Katyayani Mata ) को देखा और उनकी सुंदरता पर मंत्रमुग्ध हो गए.दोनों अपने स्वामी के पास गए और उन्हें मां कात्यायनी के बारे में सब कुछ बताया.यह सुनकर महिषासुर बहुत खुश हुआ, और उसने तुरंत अपने दूसरे दूत दुंदुभि से माता कात्यायनी से विवाह के बारे में बात करने को कहा.
दुंदुभी ( Dundubhi ) कात्यायनी से मिला और उसकी महानता के बारे में बताया और शेखी बघारी कि महिषासुर अब तीनों लोकों का शासक है.उसने माता कात्यायनी से कहा कि उन्हें महिषासुर से विवाह कर लेना चाहिए. मां कात्यायनी मुस्कुराईं, और Dundubhi से कहा कि उनकी परंपरा के अनुसार, पहले महिषासुर को उन्हें युद्ध में हराना होगा. तभी वे दोनों शादी कर सकते हैं.दुंदुभि वापस महिषासुर के पास गया और उसे इस चुनौती के बारे में बताया.महिषासुर सहमत हो गया और युद्ध की तैयारी शुरू हो गई.