हैदराबाद :आजादी आंदोलन के इतिहास में कई ऐसे लोग थे, जो स्वतंत्रता सैनानियों के इस रूप में मददगार बनें कि उस दौर में आंदोलनकारियों के लिए हर जोखिम उठाने को तैयार थे. ऐसे लोगों की दास्तान एक बार दुनिया के सामने लाने की मुहिम ईटीवी भारत ने शुरु की है.
आइए आज आपको बताते हैं डॉ मुख़्तार अहमद अंसारी और हकीम अजमल खान की भूमिका के बारे में. ये दोनों शख्सियत क्रांतिवीरों के लिए ईलाज का काम करते रहे. जो लोग इसके अगुवा थे, उनकी सेहत संभालने का जिम्मा इन्हीं लोगों ने संभाला.
डॉ मुख्तार अहमद अंसारी ( एमए अंसारी ) और हकीम अजमल खान देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे. डॉ.अंसारी ने 1928 से लेकर 1936 तक विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे. दोनों ने आजादी आंदोलन में अपनी बड़ी भूमिका निभाई. वे कांग्रेस और मुस्लिम लीग के सदस्य भी थे.
इतिहासकार सोहेल हाशमीं बताते हैं कि डॉ. एम ए अंसारी ने स्वास्थ्य सेवा के जरिए देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई. उन दिनों भारत में तीन बड़े सर्जन मशहूर थे, कलकत्ता के डॉ. बिधान चंद्र राय, मुंबई के मिराजकर और दिल्ली के डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी. दिल्ली के इस दरियागंज में डॉ. एमए अंसारी का बहुत बड़ा मकान है, जहां कांग्रेस के दिल्ली में आयोजित सम्मेल में शरीक हुए बड़े डेलिगेट आ कर रुका करते थे.
उस रोज़ को याद करते हुए इतिहासकार सोहेल हाशमी बताते है कि डॉ. एमए अंसारी के पास इलाज के लिए कई फ्रीडम फाइटर आया करते थे, जिन्हें डॉ अंसारी अपने घर में आसरा दे कर, उनका इलाज किया करते थे.
इतिहासकार सोहेल हाशमी बताते हैं कि हर विचारधारा के फ्रीडम फाइटर चाहे वे कांग्रेस हो, समाजवादी, कम्युनिस्ट हो या फिर अंडरग्राउंड मूवमेंट के लोग, सभी डॉ. एमए अंसारी घर आया करते थे, जरुरत पड़ने पर वहां आसरा भी लिया करते थे. हाशमी बताते हैं कि महात्मा गांधी दिल्ली आने पर स्वतंत्रता सैनानियों से पूछा करते थे कि तुम्हारा बादशाह कौन है, तो लोग डॉ. अंसारी का नाम लिया करते थे.