नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावों और विज्ञापनों के मामले में पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाई.
न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो पिछले साल दायर की गई थी. सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने बाबा रामदेव द्वारा सह-स्थापित कंपनी को कड़ी चेतावनी जारी की और इस बात पर जोर दिया कि पतंजलि आयुर्वेद के सभी भ्रामक विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा.
पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे को 'एलोपैथी बनाम आयुर्वेद' की बहस बनाने की इच्छुक नहीं है, बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है.
पीठ ने कहा कि वह इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रही है और वह एक करोड़ रुपये की सीमा तक जुर्माना लगाने पर भी विचार कर सकती है. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा, और यह भी सुनिश्चित करेगा कि मीडिया में उसके द्वारा आकस्मिक बयान न दिए जाएं.