धारचूला में नेपाल की ओर से फिर पत्थरबाजी. पिथौरागढ़ःनेपाल अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. धारचूला क्षेत्र में नेपाल की ओर से लगातार पत्थरबाजी (pithoragarh stone pelting) की जा रही है. एक बार फिर से धारचूला में तटबंध के काम में लगे भारतीय मजदूरों पर नेपाल की तरफ से पत्थरबाजी की गई. जिसमें एक डंपर क्षतिग्रस्त हो गया और चालक घायल हो गया.
सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता के मुताबिक, पिथौरागढ़ के धारचूला में तटबंध के काम पर नेपाल की तरफ से पत्थरबाजी (Stone pelting from Nepal side) देखी गई. इस दौरान नेपाल की ओर से पथराव किया गया. पत्थरबाजी में एक डंपर क्षतिग्रस्त हो गया. जबकि, चालक घायल हो गया. वहीं, प्रोजेक्ट मैनेजर इंद्रजीत शर्मा ने बताया कि पत्थरबाजी से हमारे काम में 10-15 दिन की देरी हुई है. यही स्थिति रही तो मुश्किलें आएंगी. श्रमिकों की सुरक्षा की व्यवस्था की जाए. अभी तक 2 डंपर क्षतिग्रस्त हो गए हैं.
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नेपाल की ओर से की जा रही पत्थरबाजीःबीती 4 दिसंबर को भी पिथौरागढ़ के धारचूला में काली नदी में चैनेलाइज (embankment construction on Kali river) कर रहे भारतीय मजदूरों पर नेपाली नागरिकों ने पथराव किया. जिसमें एक मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गया. यहां मजदूर झूलाघाट के पास काली नदी में चैनलाइज का काम कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक धारचूला क्षेत्र में ये पत्थरबाजी (stone pelting from nepal in pithoragarh) हुई. यहां काली नदी पर तटबंध निर्माण चल रहा था. जिसको लेकर ये विवाद बताया जा रहा है. इस निर्माण का नेपाली नागरिक विरोध कर रहे थे.
भारत-नेपाल के अधिकारियों की हुई थी बैठक:इस घटना के बाद बीती 7 दिसंबर को पिथौरागढ़ के धारचूला स्थित एनएचपीसी गेस्ट हाउस में भारत नेपाल सीमा समन्वय समिति की बैठक (India Nepal Border Coordination Committee meeting) जिलाधिकारी रीना जोशी की अध्यक्षता में हुई थी. बैठक में भारत और नेपाल के विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे. इस दौरान नेपाली नागरिकों द्वारा किए गए पथराव सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई. जिस पर नेपाल ने आश्वस्त किया कि अराजक तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी और इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होने दी जाएगी.
पिथौरागढ़ से सटा है नेपालःदरअसल, धारचूला नेपाल और चीन से लगने वाला सरहदी इलाका है. धारचूला से चीन सीमा की दूरी 80 किलोमीटर है, जहां पर धारचूला लिपुलेख राजमार्ग का निर्माण हुआ है, लेकिन नेपाल की सीमा धारचूला से ही शुरू हो जाती है. धारचूला में काली नदी के आर पार भारत और नेपाल की सीमा है. काली नदी के एक तरफ भारत है तो दूसरी तरफ नेपाल. काली नदी के आसपास सैकड़ों गांव बसे हुए हैं. इन गांवों में आवाजाही के लिए कई झूला पुल बने हुए हैं. भारत नेपाल सरहद पर एसएसबी की तैनाती है.
बता दें कि 2020 में भारत और नेपाल के दोस्ताना रिश्तों में उस समय खटास आ गई थी, जब नेपाल ने एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था. इस नक्शे में नेपाल ने कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख के उन इलाकों को अपने क्षेत्र में दर्शाया था, जिन्हें भारत उत्तराखंड राज्य का हिस्सा मानता है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसके बाद 8 मई 2020 को एक विशेष कार्यक्रम में उत्तराखंड के धारचूला से चीन सीमा पर लिपुलेख तक एक सड़क संपर्क मार्ग का उद्घाटन किया था. नेपाल ने इसका विरोध करते हुए लिपुलेख पर फिर से अपना दावा किया था. इसको लेकर दोनों देशों में कई दिनों तक तनातनी बनी रही.
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