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देशभर में फैले हैं हरिद्वार की नकली दवा फैक्ट्री के तार, तहकीकात में जुटी उत्तराखंड STF

उत्तराखंड के हरिद्वार के भगवानपुर इंडस्ट्रियल एरिया में नकली दवा फैक्ट्री के भंडाफोड़ के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. आखिर किसकी शह पर उत्तराखंड में नकली दवा फैक्ट्री संचालित हो रही हैं. इनका जाल कहां-कहां तक फैला है और किसे बेची जाती थी? इन तमाम सवालों के जवाब मिलने अभी बाकी हैं. जिस पर उत्तराखंड एसटीएफ तहकीकात में जुटी है. वहीं, भगवानपुर नकली दवा फैक्ट्री मामले में अभी भी फैक्ट्री संचालक समेत चार लोग फरार हैं. हालांकि, पुलिस मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है.

Bhagwanpur fake medicine factory
हरिद्वार की नकली दवा फैक्ट्री

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Published : Jun 7, 2022, 10:36 AM IST

Updated : Jun 7, 2022, 5:51 PM IST

देहरादूनःउत्तराखंड में नकली दवा फैक्ट्रियों का संचालन होना गंभीर सवाल बना हुआ है. जो न केवल लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. बल्कि, नामी कंपनियों को भी बदनाम कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला बीते दिनों हरिद्वार के भगवानपुर इंडस्ट्रियल एरिया से सामने आया था. यहां स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने नकली दवा बनाने वाली फैक्ट्री का पर्दाफाश किया था. मौके पर 15 लाख से ज्यादा के टैबलेट और एक करोड़ से अधिक का कच्चा माल सॉल्ट बरामद हुआ था. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि नामी कंपनियों के नाम पर नकली दवा बनाने वाली फैक्ट्रियां किसके शह पर संचालित हो रही हैं?

दररअसल, बीते दिनों यानी 5 जून को स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने रुड़की के भगवानपुर ग्रामीण इंडस्ट्रियल एरिया में नकली दवा बनाने वाली फैक्ट्री का खुलासा किया था. जहां लाखों की नकली दवाई मिली थी. मौके पर एसटीएफ ने 5 आरोपियों को भी दबोचा था. पकड़े गए आरोपियों को सोमवार को हरिद्वार जिला कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था. फैक्ट्री संचालक समेत चार आरोपी अभी भी फरार हैं. जिनकी गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ धरपकड़ में जुटी है. मुख्य आरोपियों के गिरफ्त में आते ही इस बात की जानकारी जुटाई जाएगी कि आखिर नकली दवाएं उत्तराखंड के अलावा किन-किन राज्यों में सप्लाई की जाती थी.
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नकली दवा फैक्ट्री का मालिक महाराष्ट्र और पार्टनर लक्सर का निवासीः जानकारी के मुताबिक, भगवानपुर इंडस्ट्रियल एरिया में नकली दवा फैक्ट्री का संचालन करने वाला विशाल नाम का वांटेड आरोपी महाराष्ट्र का रहने वाला बताया जा रहा है. जबकि, उसका पार्टनर पंकज कुमार लक्सर इलाके का रहने वाला है. इस केस में तीसरे नंबर का वांटेड अजय नाम का व्यक्ति पंकज का जीजा और उसका पार्टनर भी है. जबकि, नकली दवा फैक्ट्री में मशीनों के ऑपरेटर फरार व्यक्ति की पहचान रवि नाम से हुई है. ऐसे में उत्तराखंड एसटीएफ की टीमें फैक्ट्री संचालक समेत चारों वांटेड की तलाश में सूचनाओं के आधार पर संभावित ठिकानों व अन्य स्थानों में दबिश दे रही हैं.

देशभर में फैले हैं हरिद्वार की नकली दवा फैक्ट्री के तार.

नकली दवाओं की सप्लाई चेन को पकड़ना एसटीएफ के लिए बड़ी चुनौतीः इतने बड़े पैमाने पर नकली दवाओं की फैक्ट्री का पर्दाफाश हुआ है, तो जाहिर है सवाल भी गंभीर उठ रहा है कि इतने बड़े पैमाने में नकली दवाओं की सप्लाई कब से और किन किन राज्यों में हो रही थी? एसटीएफ के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है कि इस गोरखधंधे में संबंधित सरकारी विभागों में से कई लोगों की मिलीभगत हो सकती है. ऐसे में नकली दवाओं की सप्लाई चेन को पकड़ना भी एसटीएफ के सामने बड़ी चुनौती है.
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ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए उत्तराखंड एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि जिस तरह से इतनी भारी मात्रा में नकली दवाओं की खेप और फैक्ट्री बरामद की गई है, उससे इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह बड़े स्तर पर नकली दवाओं की सप्लाई की चेन बनी होगी. इतना ही नहीं जिस तरह नामचीन कंपनियों के नाम से नकली दवाओं को पूरे व्यवस्थित ढंग से फैक्ट्री लगाकर माल तैयार किया जा रहा था, उससे इस बात का भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह धोखेबाजी और गोरखधंधे का खेल कई सालों से संचालित हो सकता है.

बंद फैक्ट्री में तैयार नकली दवाओं की खपत कहां होती थी?एसटीएफ के मुताबिक, भगवानपुर इंडस्ट्रियल एरिया में एक बंद फैक्ट्री को अंदर खाने चालू करा कर जिस तरह से नकली दवाओं को तैयार करने का धंधा चल रहा था, उसके कई कार्यालय भी बनाए गए थे. फार्मा की फैक्ट्री में लाखों की संख्या में टैबलेट तैयार होते थे. जिन्हें अलग-अलग गोदामों में रखा जाता था. वहां से अलग-अलग दफ्तरों और डीलरों के जरिए एक लंबी चौड़ी सप्लाई चेन भी इसमें काम कर रही थी. उत्तराखंड के अलावा देश के अन्य राज्यों में नकली दवाओं की सप्लाई के लिए कोरियर कंपनी का सहारा भी लिया जा रहा था. जिनके बारे में जांच पड़ताल की कार्रवाई जारी है.

एसएसपी अजय सिंह के मुताबिक, आगे की कार्रवाई में यह महत्वपूर्ण विषय है कि इतने बड़े पैमाने में जो दवाइयां नकली बन रही थी, उनकी सप्लाई और डिमांड कितनी बड़ी रही होगी. जिसके चलते रोजाना हजारों की संख्या दवाइयों की खेप तैयार हो रही थी. ऐसे में इस बात की जांच पड़ताल करना भी बेहद आवश्यक है कि इसके खरीदार और सप्लायर कौन-कौन हैं? क्योंकि ये दवाएं अधिकृत नहीं है. उनका कहना है कि एसटीएफ की टीम का अगला लक्ष्य यही है कि इन नकली दवाओं की खपत कहां और किस किस के माध्यम से जाती थी, इसका खुलासा करना है.
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अन्य राज्यों में भी नकली दवाओं की सप्लाई के मिले सुबूत: उत्तराखंड एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह (Uttarakhand STF SSP Ajay Singh) के मुताबिक, जिस तरह से तथाकथित फैक्ट्री में लाखों की तादाद में नकली दवाएं तैयार होती थी, उनकी सप्लाई उत्तराखंड में इतने बड़े पैमाने पर संभव नहीं है. ऐसे में जब आगे की जांच पड़ताल की गई तो पता चला कि कोरियर कंपनियों के जरिए देश के कई दूरस्थ राज्यों में भी डिलीवरी से दवाइयां भेजी जाती थीं. इसलिए मामला बेहद गंभीर है. मामले में कोरियर कंपनियों से मिले सुबूत के आधार पर आगे की जांच पड़ताल जारी है.

नकली दवाओं से सतर्क रहकर स्वास्थ्य का बचाव जरूरीःबहरहाल, जिस तरह से हरिद्वार के अंतर्गत भगवानपुर इंडस्ट्रियल इलाके में इतने बड़े पैमाने में नकली दवा बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ (Bhagwanpur fake medicine factory) हुआ है, उससे इस बात के लिए सभी को सतर्क और जागरूक रहने की आवश्यकता है कि केमिस्ट (Chemist) या दवाखाने में मिलने वाली दवा नकली तो नहीं है. अगर ऐसा है तो बीमार आदमी का स्वस्थ होना तो दूर बल्कि, उसके जीवन से खिलवाड़ भी हो सकता है.

Last Updated : Jun 7, 2022, 5:51 PM IST

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